टमाटर और प्याज की महंगाई से अभी लोग उबरे भी नहीं थे कि अब मिठाइयों की मिठास भी कड़वी होने की नौबत आ गई. दरअसल हम बात कर रहे हैं चीनी की जो अपने बढ़ते भाव की वजह से लोगों के लिए कड़वी हो सकती है. देश में चीनी की कीमतों के भाव आसमान छू रहे हैं. चीनी के घरेलू दाम इस समय तीन फीसदी बढ़कर पिछले छह साल के हाई लेवल पर चला गया है. बाजार की मानें तो चीनी के कम उत्पादन की आशंका के चलते भाव में इतना इजाफा हुआ है.
सूत्रों के मुताबिक, महज पिछले 15 दिनों में ही चीनी की कीमत में तीन फीसदी की तेजी आई है. गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसून की बेरुखी के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि देश में त्योहारी सीजन भी लगभग शुरू होने वाली है. इसी आशंका के चलते चीनी की कीमतें सितंबर 2017 के बाद सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच चुकी है.
देश के जो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं वहां इस मॉनसून सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है. इसी के चलते देशभर में गन्ना उत्पादन की कमी को लेकर आशंका पैदा हो गई है. बाजार की बात करें, तो बाजार को उम्मीद है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी का उत्पादन घट सकता है. वहीं नए सीजन में उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है. नए सीजन में चीनी का उत्पादन 3.3 फीसदी घटकर 3.17 करोड़ टन होने की आशंका है.
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दरअसल खुदरा बाजार में 1 जुलाई 2023 को चीनी की औसत कीमत 42.98 रुपए किलो थी, लेकिन यह 5 सितंबर को बढ़कर 43.42 रुपए किलो हो गई. इससे पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2023 को औसत कीमत 41.45 रुपये किलो थी. वहीं बात करें चीनी से बने उत्पादन की तो, चीनी के महंगे होने से बिस्कुट से लेकर चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, मिठाइयों आदि की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है.
रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार चीनी की दामों को नियंत्रित करने के लिए चीनी पर स्टॉक लिमिट लगा सकती है. इससे मिलों, होल सेलर्स की लिमिट तय हो सकती है. इस बीच अगर इंटरनेशनल मार्केट पर नजर डालें तो यहां भी चीनी के दाम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. थाइलैंड, इंडोनेशिया में चीनी के दाम बढ़े हैं. वहीं USDA ने हाल ही में कहा है कि चीनी का ग्लोबल स्टॉक 13 सालों के निचले स्तरों पर पहुंचा है.
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