नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केन्द्र (एनसीओएनएफ) को जैविक खेती करने वालों की तलाश है. ऐसे किसानों की तलाश कर दोनों विभाग उन्हें अपने साथ जोड़ेंगे. उनके पशुओं का प्रमाणीकरण किया जाएगा. इससे किसानों का फायदा यह होगा कि दूध में उनकी इनकम बढ़ जाएगी. घर बैठे ही उनका दूध बिकने लगेगा. ऐसे किसान अपने इलाके में खास दूध बेचने वालों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएंगे. किसानों को जोड़ने का अभियान शुरू कर दिया गया है. जल्द ही एनसीओएनएफ जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए एक वर्कशॉप भी आयोजित करने जा रहा है.
किसी भी पशु को ऑर्गेनिक का सर्टिफिकेट देने से पहले यह देखा जाता है कि गाय-भैंस हो या बकरी उसे जो चारा खाने में दिया जा रहा है वो पूरी तरह से ऑर्गेनिक है या नहीं. दूसरा यह कि जहां भी वो ऑर्गेनिक चारा उगाया जा रहा है उसके आसपास दूसरी फसल में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है.
क्योंकि ऐसा होने पर फसल के हिसाब से नियमानुसार एक दूरी रखनी पड़ती है. इसके अलावा पशुओं को दी जाने वाली वैक्सीन, बीमारी में दी जा रहीं दवाओं को भी चेक किया जाता है. बनाई गई गाइडलाइन के हिसाब से ही पशुओं को दवा दी जाती है. कुछ बीमारियों में तो सिर्फ हर्बल दवा खिलाने के ही निर्देश होते हैं.
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गौरतलब रहे एनसीओएनएफ अभी तक जैविक और प्राकृतिक खेती करने वालों को सर्टिफिकेट देता है. यह कृषि एंव किसान कल्याण विभाग का एक संस्थान है. एनसीओएनएफ का उत्तर भारत का ऑफिस गाजियाबाद में है. लेकिन जल्द ही ये दूध को भी ऑर्गनिक होने का सर्टिफिकेट देगा. इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस योजना के तहत सबसे पहले जैविक और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को जोड़ने का काम किया जा रहा है. एनसीओएनएफ और एनडीडीबी दोनों मिलकर ऐसे किसानों के पशुओं की जांच करेंगे.
अगर जांच में यह पाया जाता है कि उनके दूध में किसी भी तरह का रसायन शामिल नहीं है तो उसे ऑर्गनिक दूध होने का प्रमाण पत्र दिया जाएगा. एनडीडीबी से जुड़े जानकारों की मानें तो अभियान की शुरुआत जैविक और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से इसलिए की जा रही है कि ये किसान अपने पशुओं को भी खेत में उगा चारा ही खिलाते होंगे. ऐसे में इनके चारे और दूध में किसी भी तरह का रसायन होने की संभावना न के बराबर रह जाती है.
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जानकारों की मानें तो बाजार में गाय-भैंस ही नहीं बकरी का दूध भी ऑर्गेनिक बताकर बेचा जा रहा है. आनलाइन ऐसी बहुत सी कंपनी हैं जो दूध को ऑर्गेनिक बताकर बेच रही हैं. लेकिन उनके द्वारा बेचा जा रहा दूध ऑर्गेनिक है या नहीं इसका उनके पास कोई प्रमाण नहीं है, दूध ऑर्गेनिक होने का वो सिर्फ दावा कर रहे हैं.
ऐसा इसलिए है कि अभी तक किसी भी सरकारी संस्थान ने दूध के ऑर्गनिक होने का प्रमाण पत्र किसी को नहीं दिया है. अभी तक सिर्फ एपीडा बड़े लेवल पर थर्ड पार्टी सर्टिफिकेट देता है. लेकिन इसकी फीस बहुत महंगी है. आम किसान का वहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल है. इसलिए जब जैविक खेती करने वालों को एनसीओएनएफ और एनडीडीबी ऑर्गनिक होने का प्रमाण पत्र देंगे तो उनके पशुओं का जो दूध अभी तक 60 रुपये लीटर बिक रहा था वो 75 से 80 रुपये लीटर के दाम पर आ जाएगा.
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