एमएसपी कमेटी की बैठक में आखिरकार आधिकारिक तौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर चर्चा शुरू हो गई है. राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र, नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित बैठक के दौरान कुछ किसान संगठनों ने इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया कि ऐसी व्यवस्था लागू हो जिससे कि किसानों को एमएसपी से कम दाम न मिले. एमएसपी से कम पर किसी भी फसल की कांट्रैक्ट फार्मिंग न हो और उस प्राइस से कम मूल्य पर किसी भी फसल का आयात न हो सके. ऐसी व्यवस्था की जाएगी तभी 86 फीसदी छोटे किसानों का भला हो सकेगा. हालांकि, कमेटी में शामिल नौकरशाह और अर्थशास्त्री इस पर राजी नहीं दिखे.
केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई इस कमेटी में कृषि मंत्रालय और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ओर से शामिल प्रतिनिधियों ने एमएसपी पर अलग से मीटिंग की थी, लेकिन उसमें न तो किसान संगठनों के प्रतिनिधि थे और न तो सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोग. वो एक तरह से बैठक में प्रजेंटेशन देने के लिए तैयारी में जुटे हुए थे. अधिकारियों ने 1960 के दशक से लेकर अब तक की एमएसपी व्यवस्था को लेकर रिपोर्ट बनाई. यह जानकारी जुटाई कि फसलों के दाम को लेकर किस देश में क्या व्यवस्था है. शांता कुमार कमेटी और अशोक दलवई कमेटी ने क्या-क्या कहा है इस जानकारी को भी जुटाया गया. इसके बाद पूरी कमेटी की बैठक में बुधवार को पहली बार इस पर चर्चा हुई.
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बैठक में किसानों को मिलने वाले फसलों के कम दाम पर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने चिंता जताई. इस मसले को लेकर किसान संगठनों ने अपनी आवाज उठाई. किसानों ने कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन निकालने की व्यवस्था भी जाननी चाही. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के वरिष्ठ सदस्य ने नवीन पी सिंह ने एमएसपी को लेकर प्रजेंटशन दिया. उधर, बुधवार को हुई इस बैठक में भी नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद और सहकारिता सचिव नहीं आए. इसमें सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा का कोई प्रतिनिधि नहीं रहा.
ज्यादातर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सभी किसानों को एमएसपी का लाभ मिले, उन्हें उचित दाम मिले, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए. एमएसपी से कम पर कोई भी व्यक्ति किसी भी फसल का व्यापार न करे. इसको रिजर्व प्राइस घोषित कर दिया जाए. उससे कम दाम पर पेनल्टी और पनिशमेंट का इंतजाम हो. आखिर किसानों का क्या अपराध है कि उनकी उपज औने-पौने दाम पर बिकती है. कम दाम मिलने की वजह से किसानों की स्थिति खराब है. किसान आंदोलन में शामिल रहे संगठन भी ऐसी ही मांग कर रहे हैं कि फसलों की बिक्री एमएसपी से कम कीमत पर न हो.
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