केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को ड्रोन के जरिए कीटनाशकों के इस्तेमाल के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी एसओपी जारी की. इसे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रिलीज किया. यह एसओपी फसल विशिष्ट है. तोमर ने कहा कि हमारे देश ने नैनो यूरिया बनाया, नैनो डीएपी आ गया है. ड्रोन टेक्नालॉजी को सरकार ने कृषि क्षेत्र में स्वीकार किया है. पिछली बार जब टिड्डी का प्रकोप हुआ था, उस समय ड्रोन के उपयोग की जरूरत महसूस की गई थी, तभी से केंद्र सरकार खेती के लिए ड्रोन को प्रमोट कर रही है. कृषि में लागत कम करने व कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से शरीर को बचाने में किसान ड्रोन बहुत कारगार है.
सरकार ड्रोन को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए सब्सिडी दे रही है. आईसीएआर के संस्थानों, केवीके, कृषि विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक उपक्रमों को ड्रोन लागत की 100 दर पर वित्तीय सहायता देने का एलान किया गया है. प्रति ड्रोन 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है. एफपीओ को किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की खरीद के लिए 75 की दर से सब्सिडी मिल रही है. किसानों के लिए ड्रोन की मूल लागत की 40 परसेंट सब्सिडी है. कस्टम हायरिंग सेंटर यानी कृषि मशीन बैंक स्थापित करने वाले कृषि स्नातकों को ड्रोन की लागत के 50 या अधिकतम 5 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है. ताकि इसका इस्तेमाल बढ़े.
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तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए कई बड़ी योजनाएं चला रही है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में पहुंच चुके हैं, जिसमें कोई प्रश्नचिन्ह नहीं है. सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के भी अच्छे परिणाम आ रहे हैं. प्राकृतिक खेती जैसे विषयों को आगे बढ़ाया जा रहा है. तोमर ने कहा कि जब भी हम कोई नया काम करते हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम व्यक्ति तक मदद अवश्य पहुंचे. यही कारण है कि जब ड्रोन की स्कीम बन रही थी, तब सामान्य किसान, सामान्य ग्रेजुएट को भी इसमें जोड़ा गया, ताकि ड्रोन का उपयोग छोटे किसानों तक सुलभ हो सकें.
इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने "मिलेट उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के लिए मशीनरी" नामक एक पुस्तिका का भी विमोचन किया. उन्होंने कहा कि कृषि हमारी प्रधानता है, इसलिए चाहे रिसर्च का काम हो या योजनाओं का, सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि को बढ़ावा देने व किसानों की माली हालत में सुधार की रहती है. आज कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियां हैं. किसानों को खेती में रोकना, नई पीढ़ी को भी आकर्षित करना व उत्पादन लागत कम करते किसानों का मुनाफा बढ़ाना है. इनके लिए कृषि क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल बहुत जरूरी है, सरकार इस दिशा में काम कर रही है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स (श्री अन्न) वर्ष के रूप में दुनियाभर में मनाया जा रहा है. विभिन्न आयोजनों में श्री अन्न को प्राथमिकता व मान्यता मिल रही है. इसके लिए प्रसन्नता के साथ हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है. देश-दुनिया में श्री अन्न की मांग व खपत बढ़ेगी तो उत्पादन-उत्पादकता के साथ ही प्रोसेसिंग व एक्सपोर्ट भी बढ़ाना होगा. कार्यक्रम में कृषि सचिव मनोज अहूजा, अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, विजयलक्ष्मी और कृषि आयुक्त पीके सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे.
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