छत्तीसगढ़ में खुला नए जमाने का मिलेट्स कैफे, कम दाम में मिलेंगे किस्म-किस्म के व्यंजन

छत्तीसगढ़ में खुला नए जमाने का मिलेट्स कैफे, कम दाम में मिलेंगे किस्म-किस्म के व्यंजन

इस मिलेट्स कैफे (millets cafe) को बनाने का उद्देश्य मोटे अनाज वाली फसलों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना और उनके उपयोग को बढ़ावा देना है. यह कैफे किसी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित देश का पहला मिलेट्स कैफे है. इसका संचालन कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर के द्वारा किया जाएगा.

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छत्तीसगढ़ में खुला नए जमाने का मिलेट्स कैफे, कम दाम में मिलेंगे किस्म-किस्म के व्यंजनमिलेट्स प्रेमियों के लिए खुशखबरी, फोटो साभार: photo google

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शहर के पहले मिलेट्स कैफे (millets cafe) का उद्घाटन हुआ है. इसकी शुरुआत 20 जनवरी को रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में की गई. उद्घाटन छ्त्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने किया. इस कैफे में मोटे अनाज के प्रेमियों के लिए कई प्रकार के लजीज व्यंजन मिलेंगे. कैफे के अंदर 20 लोगों को बैठकर खाने की व्यवस्था की गई है. इस कैफे में 'रेडी टू इट' और 'रेडी टू कुकिंग' का भी इंतजाम किया गया है. कैफे में खाने के लिए कोदो, कंगनी, कुटकी, बाजरा, ज्वार, रागी, मक्का और संवा का सूप, भजिया, इडली, डोसा, पोहा, उपमा, हलवा और कुकीज के साथ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाएंगे. इन व्यंजनों में ठठोरी, खुरमी, अरसा, चकोली, सेवई आदि भी उपलब्ध होगा.

इस मिलेट्स कैफे (millets cafe) को बनाने का उद्देश्य मोटे अनाज वाली फसलों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना और उनके उपयोग को बढ़ावा देना है. यह कैफे किसी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित देश का पहला मिलेट्स कैफे है. इसका संचालन कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर के द्वारा किया जाएगा जिसमें महिला सहायता समूहों के उगाए मोटे अनाज का स्वादिष्ट व्यंजन परोसा जाएगा.

मिलेट्स में छत्तीसगढ़ का नाम

छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है जो मोटे अनाज यानी मिलेट्स को समर्थन मूल्य पर खरीद रहा है. सरकार की ओर से कोदो, रागी, संवा और कुटकी जैसे मोटे अनाजों को उगाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. हाल में विधानसभा में सरकार की ओर से सभी नेताओं के लिए मिलेट्स भोज (millets cafe) का आयोजन किया गया था. मुख्यमंत्री से मिलकर प्रधानमंत्री ने भी मिलेट्स कैफे खोलने की सलाह दी थी. मुख्यमंत्री खुद मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए नई स्कीमों पर काम कर रहे हैं.

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अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023

मोटे अनाजों के महत्व को देखते हुए और जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मिलेट्स का वर्ष घोषित किया है. इसका नाम दिया गया है इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023. भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित करने का अनुरोध किया था. इस काम में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे आए. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस साल को मिलेट्स के नाम घोषित किया है. भारत के इस अनुरोध को 70 देशों का समर्थन भी प्राप्त हुआ था. इस मोटे अनाज वर्ष में भारत के लगभग हर राज्य में जागरूकता बढ़ाने के लिए मेले और प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. इससे लोगों के बीच मोटे अनाजों की दिलचस्पी बढ़ानी है.

मिलेट्स के फायदे कई

मिलेट्स को सुपरफूड और स्मार्टफूड का दर्जा मिला हुआ है. इसकी वजह है कि इसे प्रतिकूल मौसम और जलवायु में भी उगाया जा सकता है. अधिक तापमान में भी मोटे अनाज आराम से उग सकते हैं तभी इन्हें क्लाइमेट स्मार्ट अनाज की संज्ञा दी गई है. सेहत के लिए मोटे अनाज बहुत ही लाभदायक हैं क्योंकि इनमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कॉपर और सेलेनियम सहित कई पोषक तत्व एक साथ पाए जाते हैं.  

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