दूध के दाम 65 रुपये का आंकड़ा पार कर चुके हैं. एक साल में दो-दो रुपये करके करीब 12 रुपये तक बढ़ाए जा चुके हैं. घी के दाम भी बढ़ चुके हैं. बाजार में बटर (मक्खन) की कमी किसी से छिपी नहीं है. कुछ ही दिन में गर्मियों की शुरुआत हो जाएगी. सभी जानते हैं कि सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में दूध का उत्पादन गिर जाता है. इसी के चलते केन्द्र सरकार दूध की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने और गर्मियों में दूध की कमी का सामना ना करना पड़े इसके लिए सख्त कदम उठा सकती है. संबंधित मंत्रालय में भी इसे लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं.
बड़ी डेयरियां हो या छोटी डेयरी संचालक, दूध के दाम बढ़ाने के पीछे वजह सभी एक ही बताते हैं. यूपी के डेयरी संचालक निर्वेश शर्मा का कहना है, “यह डेयरी उद्योग के लिए एक कठिन वक्त है. दूध और दूध से बने प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है. दूसरी ओर, फ़ीड और चारा आदि भी महंगे हो रहे हैं. जिसके चलते कच्चे दूध की खरीद कीमतों में लगातार तेजी दिख रही है. कच्चे दूध की कीमतों का असर डेयरी सेक्टर में महसूस किया जा रहा है, जिससे उपभोक्ताओं पर बढ़ती कीमतों का दबाव पड़ रहा है.”
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देश की दो बड़ी और मशहूर डेयरी के दूध के दाम 65 के आंकड़े को पार कर चुके हैं. इसी साल फरवरी की शुरुआत में ही दोनों कंपनियों ने फुल क्रीम दूध के दाम में इजाफा किया था. इसी के बाद से एक लीटर दूध के दाम 66 रुपये पर आ गए हैं. टोंड और काऊ मिल्क के दाम भी बढ़े हैं. साल 2022 में जो दूध 56 और 58 रुपये लीटर तक बिक रहा था वो अब 65 के पार जा चुका है.
एपीडा के आंकड़े बताते हैं कि दो साल के मुकाबले 2021-22 में डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट कई गुना बढ़ गया है. इस मामले में भारत से बड़ी मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट खरीदने वालों में 10 प्रमुख देश हैं. यह वो देश हैं जिन्होंने इस साल कई गुना ज्यादा दूध, घी और मक्खन के साथ दूसरे प्रोडक्ट खरीदे हैं. इसमे पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर बांग्लादेश 684 करोड़, यूएई 438 करोड़ और बहरीन 214 करोड़ रुपये हैं. जबकि साल 2019-20 में बांग्लागदेश ने 8 करोड़ के डेयरी प्रोडक्ट, यूएई ने 264 करोड़ और बहरीन ने 25 करोड़ रुपये के डेयरी प्रोडक्ट भारत से खरीदे थे.
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सभी बड़ी डेयरियों में एक इमरजेंसी सिस्टम होता है. यह खासतौर पर गर्मियों में दूध की कमी नहीं होने देता है. लेकिन सूत्रों की मानें तो बड़े पैमाने पर मक्खन का एक्सपोर्ट होने के चलते इमरजेंसी सिस्टम में मक्खन और मिल्क पाउडर की कमी है. सीईओ, वीटा डेयरी, हरियाणा चरन जीत सिंह बताते हैं कि जब बाजार में दूध की डिमांड ज्यादा हो जाती है या किसान-पशु पालकों की ओर से दूध कम आने लगता है तो ऐसे वक्त में इमरजेंसी सिस्टम से शहरों को दूध की सप्लाई दी जाती है. जैसे गर्मियों में अक्सर होता है कि पशु दूध कम देते हैं, लेकिन डिमांड बराबर बनी रहती है. इस डिमांड को भी इमरजेंसी सिस्टम से ही पूरा किया जाता है.
इमरजेंसी सिस्टम हर डेयरी में काम करता है. इस सिस्टम के तहत डेयरी में डिमांड से ज्यादा आने वाले दूध को जमा किया जाता है. खासतौर पर सर्दियों के मौसम में जमा किए गए दूध का मक्खन और मिल्क पाउडर बनाया जाता है. डेयरियों में स्टोरेज क्वालिटी और कैपेसिटी अच्छी होने के चलते मक्खन और मिल्क पाउडर 18 महीने तक चल जाता है. अब तो इतने अच्छे-अच्छे चिलर प्लांट आ रहे हैं कि मक्खन पर एक मक्खी बराबर भी दाग नहीं आता है.
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