राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि हमारे देश में विदेश से आने वाला जेनेटिक अनाज चलता है, लेकिन हमारे किसानों के उसी तरह के अनाज को अनदेखा किया जाता है. यह देश के लिए बहुत ही घातक है और भविष्य में इसके दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. इसमें कुछ तकनीकी अड़चनें बनी हुई हैं जिनको दूर करने पर विचार करने की आवश्यकता है. पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पुरस्कृत महात्मा फुले एग्रीकल्चर फोरम कृषि स्नातक संगठन के तत्वावधान में पहले राज्यस्तरीय कृषि पदवीधर अधिवेशन में होटल गौरी इन में बोल रहे थे.
राकांपा सुप्रीमो पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में 56 फीसदी क्षेत्र में कृषि की जा रही है जो लगातार घट रही है. विमान से आते समय देखा कि समृद्धि महामार्ग आ गया उपज वाली जगह चली गई. एमआईडीसी में भी जमीन जाने की वजह से उद्योग आ गए. यह सारी जमीन किसानों की जा रही है.
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में 91 फीसदी, हरियाणा में 80 फीसदी और महाराष्ट्र में सिर्फ 30 फीसदी जमीन को पानी मिलता है जिससे वह सतत खेती कर सकें. वर्धा, यवतमाल और अमरावती में किसानों के सामने आत्महत्या एक बड़ा सवाल बना हुआ है. किसानों को उनकी उपज के सही दाम नहीं मिलते हैं. बारिश और ओलावृष्टि से उनका भारी नुकसान हो जाता है, लेकिन उसका उचित मुआवजा नहीं मिलता है. कर्ज लेने पर साहूकार पैसे के लिए परेशान करता है. घर में बेटा और बेटी की शादी जैसा प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ होता है जिस वजह से किसान आत्महत्या जैसे कदम को उठाता है. उसके नुकसान की भरपाई जरूरी है और उसके सिर से कर्ज का बोझ हटाना बहुत जरूरी है.
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पवार ने कहा कि कृषि मंत्री बनने के बाद मेरे पास विदेश से अनाज खरीदने की फाइल आई जिस पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किए. तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कहने पर मैंने हस्ताक्षर किए क्योंकि हमारे पास उस समय सिर्फ 1 साल का अनाज बचा हुआ था. उसके बाद हमनें अपनी तकनीकी से काम किया और आगे के समय में हम दुनिया में गेहूं और शक्कर के पहले और दूसरे नंबर के उत्पादकों की सूची में शामिल हो गए.
उन्होंने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने एक अंग्रेज अफसर से उस समय कहा था कि हमारे यहां बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसलों को भारी नुकसान होता है ऐेसे में जेनेटिक बीजों को उपयोग में लाना चाहिए जिससे इन समस्याओं का समाधान हो सके.
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सांसद पटेल ने कहा कि पहले किसानों को देश में 86 हजार करोड़ रुपए का कर्ज मिलता था जो अब 20 लाख हजार करोड़ पर पहुंच गया है, क्योंकि उसको रास्ता दिखाने का काम पवार साहब ने किया है. उनके काम की वजह से ही ग्रामीण क्षेत्र का चेहरा बदला है. इजराइल से ड्रिप इरिगेशन की जानकारी लेकर आने का काम किया.
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