सोमवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रीय किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस तरह का सम्मेलन आयोजित करने का ये पहला मौका था. इस दौरान मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पशुपालकों और मछली पालकों को केसीसी कार्ड बांटे. साथ ही केसीसी के महत्व् पर रोशनी डालते हुए कहा कि इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. साथ ही उनका कहना था कि केसीसी बनवाने में आने वाली परेशानियों को जिलास्तर पर ही दूर करने की अधिकारियों को पहल करनी होगी. उन्होंने सागर परिक्रमा के दौरान मछली पालकों के केसीसी बनाने की मुहिम के लिए संबंधित अधिकारियों के काम की सराहना भी की.
पशु और मछली पालकों को उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि जिनके अभी किसी वजह से केसीसी नहीं बने हैं उनके कारणों को पता कर जल्द ही दूर किया जाएगा और कार्ड बनाए जाएंगे. इस मौके पर पहले से केसीसी का फायदा ले रहे पशु और मछली पालकों ने अपने अनुभव भी साझा किए. गौरतलब रहे केसीसी योजना के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के लोन का लक्ष्य रखा गया है.
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्येमंत्री डॉ. एल मुरुगन ने पहले राष्ट्रीय केसीसी सम्मेलन के दौरान कहा कि आज केसीसी को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्त्र लगने वाले ब्याज को कम करने की जरूरत है. उन्होंने सभी बैंकरों से इसके लिए एक प्लेटफार्म पर आने और ट्रेनिंग देने की बात भी कही. वहीं महाराष्ट्र के राजस्व, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण एकनाथराव विखे पाटिल ने सम्मेलन में मौजूद सभी बैंकरों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पशु और मछली पालन दोनों ही परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं. इसलिए केसीसी से संबंधित नियमों में ढील देते हुए कुछ राहत दी जाए. क्योंकि जमीनी स्तर पर उन्हें लोन की जरूरत है.
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वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, इसके लिए जमीनी स्तर पर बदलाव की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि मछली पालन से जुड़े सभी आवेदकों को केसीसी कार्ड दिए जाएं. किसी भी कारण से अटके आवेदनों का निपटारा जल्द किया जाए और बैंक से लौटाए गए आवेदनों पर फिर से विचार किया जाए. उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा की राज्य योजना के तहत जीरो फीसद पर लोन दिया जाता है.
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इस तरह की योजना को भी कैबिनेट में प्रस्तावित किया जाना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि बैंकों को योजना के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और केसीसी के लिए घर-घर जाकर प्रचार करना चाहिए. महाराष्ट्र के ही मछली पालन, वन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि मछली पालकों के साथ ही विक्रेताओं को भी केसीसी का फायदा मिलना चाहिए. जिससे वो बाजार में नई तकनीक के साथ कारोबार को कर सकें.
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