
अरहर (तुअर) खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. वहीं, अरहर की खेती हमेशा से किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है. वहीं, देश के कई राज्यों में किसानों ने अरहर की अगेती किस्मों की बुवाई कर चुके हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे भी जो अभी तक इस समस्या में हैं कि वो किन किस्मों की खेती करें जिससे अधिक उपज मिल सके. ऐसे में किसान अरहर की कुछ पछेती किस्मों की भी खेती कर सकते हैं, जो न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि उत्पादन भी अच्छा देती हैं. आज हम उन किसानों को अरहर की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगे. आइए जानते हैं उस उन्नत किस्म के कहां से ले सकते हैं बीज और क्या है खासियत.
देश के अब किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर दलहनी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर अरहर की खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन अरहर की 'GRG-152' किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
GRG-152 अरहर की एक पछेती किस्म है जिसकी खेती मॉनसून आने पर की जाती है. इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी और दाना मोटा होता है. वहीं, ये किस्म समान रूप से परिपक्व होती है और विल्ट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होती है. यह किस्म 160 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी औसत उपज 12-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.अरहर के किस्म की कीमत
अगर आप भी अरहर की TS-3R किस्म की खेती करना चाहते हैं, तो इस किस्म की बीज का पांच किलो का पैकेट फिलहाल 17 फीसदी की छूट के साथ 906 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से अरहर की खेती कर सकते हैं.
अरहर की खेती करने के लिए, सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होगा, जिसमें गहरी जुताई और मिट्टी को भुरभुरा करें. वहीं, खेत की गहरी जुताई डिस्क हैरो से करें और फिर रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरा कर लें. इसके बाद पंक्तिबद्ध तरीके से बुवाई करें. उसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 55 से 65 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें. इसके बाद, मेड बनाकर, मेड के ऊपर अरहर के बीज लगाने चाहिए. बीज को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today