![किसान कारवां किसान कारवां](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/ktak/images/story/202402/65ca4729ed987-kisan-carvaan-122824774-16x9.jpg?size=948:533)
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किसान तक के किसान कारवां का आज दूसरा दिन था. जिसका आयोजन सरोजिनी नगर के रसूलपुर गांव में किया गया. जहां कृषि वैज्ञानिकों ने मंच साझा कर उन्नत खेती के तरीके बताये. साथ ही, किसानों को अनाज की खेती से हटकर फूलों और सब्जियों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि किसान अधिक कमा सकें. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अखिलेश दुबे ने कहा कि किसान को अपनी उपज बढ़ाने के लिए सबसे पहले अपने खेत की ताकत बढ़ानी होगी. इसके लिए किसान भाइयों को फसल अवशेषों का उपयोग करना होगा. जो फसलें काट ली जाएं और उनके अवशेष खेत में ही छोड़ दिए जाएं और उन्हें वर्मीकम्पोस्ट के साथ मिलाकर उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाए. जिससे उनके खेतों की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी और मिट्टी स्वस्थ्य होगी.
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे हरी खाद के रूप में गोबर की खाद डालें और भूसा का उपयोग करें और खेतों को कभी भी खाली न छोड़ें. क्योंकि जायद की फसल के दौरान पूर्वी और मध्य प्रदेश के अलावा बिहार के किसान भी अपने खेत खाली छोड़ देते हैं. ऐसे में खेत को खाली न छोड़ें, उसकी जुताई करें ताकि उपज कम न हो, लेकिन ज्यादातर किसान खेत को खाली छोड़ देते हैं और जब बारिश होती है तो खेतों में काम करते हैं, जिससे उनकी उपज कम हो जाती है.
कृषि वैज्ञानिक ने उदाहरण देते हुए बताया कि लखनऊ में कई किसान हैं जो पिछले 15 साल से गुलाब की खेती कर रहे हैं और प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रुपये कमाते हैं. गेंदे के फूल की खेती में लागत कम आती है क्योंकि इसके बीज बहुत सस्ते होते हैं और इनमें कीड़े भी कम लगते हैं. साथ ही अगर आप गुलाब की खेती करते हैं तो इसे साल में दो बार देखभाल की जरूरत होती है. गुलाब की खेती करने वाले किसान अपने गांवों में गुलाब का अर्क निकालने के लिए छोटे पौधे भी लगा सकते हैं. इसके बाद किसान इसके अर्क को बेच सकते हैं या दूसरे देशों में निर्यात कर सकते हैं. गुलाब की खेती से प्राप्त अर्क से गुलाब जल, इत्र या अन्य ब्युटि प्रॉडक्ट बनाया जा सकता है. जिसका फायदा किसानों को मिलता है.
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वैज्ञानिक दुबे ने आगे बताया कि ठंड के कारण अक्सर खेतों में पाला पड़ जाता है. ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए किसानों को तुरंत सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे तापमान बना रहेगा और पाल पढ़ने पर भी उपज खराब नहीं होगी. साथ ही यदि फफूंदनाशी कार्बन डाइजिन और मेटालिकजिन को 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाए तो पाले का प्रभाव नहीं पड़ेगा.
गर्मी का मौसम आ रहा है, ऐसे में किसान लौकी, तरबूज, नेनुआ तरबूज जैसी सब्जियों की खेती करते हैं. ऐसे में किसान इसके आसपास खरपतवार उगने से रोकने के लिए मेड़ के बीच में खाली जगह पर फसल अवशेष डाल दें तो खरपतवार नहीं उगेंगे. दूसरी तकनीक यह है कि यदि आप पन्नी डालकर उसमें छेद कर वहां फसल लगाएंगे तो खरपतवार बिल्कुल नहीं उगेंगे. वहीं अगर नीम के तेल का छिड़काव किया जाए तो कोई भी कीट रोग नहीं लगेगा. यदि आप यह भी नहीं कर सकते तो खाना पकाने के बाद बची हुई लकड़ी की राख को उठाकर सब्जी की फसल में डाल दें तो पत्ते को कीड़े नहीं खाएंगे.
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करते हुए बताया कि आजकल इसका प्रभाव काफी बढ़ गया है. जिस वजह से कभी अधिक ठंड होने लगती है तो कभी गर्मी की वजह से चीजें खराब होने लगती है. ऐसे में किसानों को सतर्क रहना चाहिए और उन्हें इंडियन मेटियोरोलिजकल ऐप डाउनलोड कर समय-समय पर मौसम की जानकारी लेते रहना चाहिए. ताकि किसान मौसम को देखते हुए अपने फसलों की रक्षा कर सकें. वहीं किसानों को यह भी सलाह दी गई कि वो पशुओं को जरूर पालें. क्योंकि पशु के जो गोबर निकलते हैं वो आपकी जमीन को और अधिक उपजाऊ बना सकते हैं.
किसान तक के किसान कारवां में पहुंचे किसानों ने यह भी बताया कि वैज्ञानिक से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला. जिसमें बताया गया कि मिट्टी की जांच अवश्य करायी जाये. जिससे इसकी उत्पादन क्षमता का पता चल सके. साथ ही खाद, बीज और दवाइयों का प्रयोग सही अनुपात में करें ताकि फसल खराब न हो और पैदावार भी अच्छी हो. सहजन की खेती के बारे में भी बताया गया कि इसकी खेती बहुत ही आधुनिक तरीके से की जानी चाहिए, क्योंकि सहजन 300 रोगों की एक दवा है. ऐसी कोई बीमारी नहीं जो सहजन खाने से ठीक न हो सके. सहजन की खेती के लिए सरकार मनरेगा से पैसा भी देगी, ये जानकारी भी किसानों को इस मंच से दी गई. (सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)
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