किसानों के मुद्दे की बात 'किसान तक' के साथ, जी हां इंडिया टुडे ग्रुप के 'किसान तक' के कारवां के सफर की शुरुआत यूपी के मेरठ जिले से हुई थी, जो आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी स्थित चिलौली गांव में जा पहुंची है. यहां पर किसान तक के मंच से किसानों को जागरूक करने की पहल की गई. 'किसान तक' के किसान कारवां में बच्चे-बूढ़े और नौजवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम को मनोरंजक बनाने के लिए जादूगर सलमान ने जादूई करतब दिखाए. कृषि एक्सपर्ट्स के जरिए किसानों को उनकी खेती की उपज बढ़ाने के टिप्स दिए गए साथ ही उनकी आय दोगुनी कैसी हो इसके बारे में भी जानकारी साझा की गई.
'किसान तक' का किसान कारवां राजधानी लखनऊ के काकोरी स्थित चिलौली गांव पहुंचा तो बड़ी संख्या में किसान और ग्रामीण जुट गए. कार्यक्रम में कृषि अधिकारी वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि अगर किसानों को अपनी खेती की उपज बढ़ानी है तो सर्वप्रथम उन्हें अपनी मिट्टी की जांच करानी होगी और फिर उसी हिसाब से उर्वरकों सही मात्रा में प्रयोग करना होगा. इससे फसल अच्छी होगी और उससे आय दोगुना करने में किसानों को मदद मिलेगी. किसान अपनी मिट्टी की जांच कृषि विभाग के जो कर्मचारी हैं उनके जरिए करा सकते हैं. इसके अलावा वह मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जाकर इसकी जांच भी कर सकता है. मिट्टी की जांच बिल्कुल निशुल्क है.
उन्होंने कहा कि किसान जब भी खेती करें तो उसमें ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल करें ताकि उत्पादन ज्यादा हो सके. उत्तर प्रदेश में ब्लैक सॉइल और रेड सॉइल नहीं पाई जाती है. बलुवा मिट्टी में कार्बनिक की मात्रा कम होती है, यहां पर जो मिट्टी मिलती है वह मटियार, मटियार दोमट और बलुआ मिट्टी मिलती हैं. खेती के लिए सबसे बढ़िया दोमट मिट्टी वाली जमीन होती है. दोमट वाले मिट्टी के खेत में किसी भी प्रकार की खेती की जा सकती है. मटिहार जमीन में गेहूं धान की खेती अच्छी की जा सकती है और बलुआ मिट्टी में हरी खाद और गोबर का प्रयोग करके उत्पाद को बढ़ाया जा सकता है. जब तक मृदा की जांच नहीं होगी और यह नहीं पता चलेगा की मिट्टी में कार्बनिक का स्तर क्या है तब तक किसान उन्नत खेती नहीं कर सकता है.
कृषि अधिकारी वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि रासायनिक खाद का प्रयोग कम करें और अगर करना हो तो बाजार में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जो मिलता है उसका प्रयोग करें. नैनो यूरिया का प्रयोग तब करें जब पहली सिंचाई खेत में हो जाए और जब दूसरी सिंचाई करनी हो तब उस दौरान उसका स्प्रे करें. कृषि अधिकारी ने आगे बताया कि किसान अपने और अपने घर वालों के लिए जानवर जरूर पालें एक तो वह उसके दूध और घी खाकर स्वस्थ रहेंगे साथ ही जानवर जो गोबर करते हैं उसका प्रयोग हुआ खेतों में अच्छी प्राकृतिक खाद के तौर पर कर सकते हैं.
कृषि अधिकारी ने बताया कि खेतों में सबसे बड़ी समस्या मोथा होती है जो एक प्रकार का खरपतवार होता है. इस तरीके के जब घास खेत में रुक जाते हैं तो खेती नहीं हो पाती है. ऐसे में मोथा से बचने के दो तरीके हैं एक तो प्राकृतिक तरीका है जिसमें बरसात के मौसम में बाजरे की खेती की जाए जिसके चलते मोथा खत्म हो जाता है. इसके साथ ही मोथा से बचने के लिए ग्लाइको सेट 41 का इस्तेमाल करें ग्लाइकोसाइड 41 का प्रयोग 1 लीटर में तीन हेक्टेयर भूमि में करना चाहिए. एक माह तक उस जमीन में कोई फसल न उगाएं. मोथा में सात जड़े होती हैं उन्हें हमेशा के लिए खत्म नहीं किया जा सकता. उन्हें जब खत्म करना पड़ेगा तो इन्हीं तरीकों से खत्म कुछ समय के लिए किया जा सकता है.
वीरेंद्र वर्मा ने किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी. पीएम कुसुम योजना के तहत किसान अपने खेत में जो फसल उगाते हैं उनकी सिंचाई में जो खर्च आता है उससे वह बच सकते हैं. क्योंकि पीएम कुसुम योजना के तहत वह सौर ऊर्जा वाले वॉटर पंप की मदद से अपने खेतों तक पानी पहुंचा सकते हैं. इससे उनको बिजली का बिल नहीं भरना पड़ेगा. पीएम कुसुम योजना के तहत वह 2 हॉर्स पावर से लेकर 10 हॉर्स पावर तक के सोलर पंप को ले सकते हैं. इस योजना में किसान को 60% का अनुदान मिलता है. वहीं, अगर सोलर पंप खराब हो जाए या खो जाए तो संबंधित विभाग को सूचित कर और एफआईआर दर्ज करा कर उसे दोबारा लिया जा सकता है. कृषि अधिकारी कहा कि जिन्होंने अभी-अभी किसानी शुरू की उनसे अपील है कि वह खेती में समस्या से छुटकारा पाने के लिए 'किसान तक' चैनल और वेबसाइट को देखें और नई-नई जानकारियों का लाभ उठाएं.
किसानों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि 'किसान तक' के माध्यम से उनको बहुत कुछ सीखने को मिला है. किसान राजकुमार ने बताया कि किसान तक के मंच से उन्हें अच्छी खेती करने की जानकारी मिली है कि कैसे खाद और बीज को सही ढंग से खेतों में डाला जाए ताकि अच्छी पैदावार हो सके. इसके अच्छा मुनाफा कमाया जा सके. धानुका नामक दवाई का जिक्र किया गया कि इसके डालने से पैदावार अच्छी हो सकती है.
महिला किसान पिंकी ने बताया कि 'किसान तक' के जरिए हम लोगों को अच्छी जानकारी मिली है क्योंकि खेतों में जो हम लोग सब्जी उगाते हैं और बाजार में बेचते हैं उसी से हमारा जीवन यापन चलता है. मशरूम की खेती के बारे में बताया गया जिसको हम करने के इच्छुक भी हैं हम पहले भी कर चुके हैं. लेकिन अब जो विधि बताई गई है उसके हिसाब से करेंगे. किसान चंद्रिका प्रसाद ने कहा कि 'किसान तक' के कार्यक्रम के जरिए हमें बागवानी करने की जानकारी मिली. साथ खेतों में जो फसल उगती है उसमें कौन सी दवा डाली जाए उसका तरीका भी बताया गया. सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई. पीएम किसान निधि के बारे में बताया गया जिसको निधि ना मिलती हो वह फॉर्म भर के अप्लाई करे. प्रधानमंत्री किसान निधि के तहत किसानों को 6 हजार रुपए हर चार महीने पर मिलता है जिससे वह इन पैसों की मदद से खेती कर सकते हैं.
किसान कारवां का आयोजन यूपी सरकार के सहयोग से किया जा रहा है. इस पूरे कारवां में एसोसिएट पार्टनर के तौर पर अनमोल, धानुका और स्वराज जुड़े हुए हैं. (सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today