बिहार में मछली पालन से जुड़े किसानों और उद्यमियों के लिए यह समय सुनहरे अवसर से कम नहीं है. मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना 2025-26 के तहत राज्य सरकार मछलीपालकों को तालाब निर्माण से लेकर बीज हैचरी तक पर 50 परसेंट से 70 परसेंट तक का अनुदान दे रही है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा चलाई जा रही यह योजना राज्य को मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है.
अगर आप बिहार से हैं और मछली पालन कर रहे हैं या शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद उपयोगी है. इस योजना के तहत लाभ पाने के लिए किसानों के पास अभी 61 दिन शेष हैं.
इस योजना के जरिए राज्य के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. पिछले तीन वर्षों में योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ने लाभार्थियों को 298.46 करोड़ रुपये की राशि सीधे अनुदान के रूप में प्रदान की है. इसका सीधा असर मत्स्य उत्पादन पर पड़ा है और बिहार आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है.
मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना 2025-26 में किसान निम्नलिखित पांच श्रेणियों में सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं.
1. उन्नत मत्स्य उत्पादन
इकाई लागत (0.5 एकड़): 1 लाख रुपये
अनुदान: 50 से 70 फीसदी
2. ट्यूबवेल और पंप सेट लगाना
इकाई लागत: 1.2 लाख
अनुदान: 50% से 60%
3. यांत्रिक एरेटर स्थापना
इकाई लागत: 50,000
अनुदान: 50% से 70%
4. कार्प हैचरी इनपुट सहायता
इकाई लागत: 8 लाख
अनुदान: 50% से 70%
5. मत्स्य बीज हैचरी का उन्नयन एवं जीर्णोद्धार
इकाई लागत: 5 लाख रुपये
अनुदान: 50% से 70%
योजना का लाभ लेने के लिए किसान fisheries.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी के लिए राज्य सरकार की वेबसाइट state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.Html या अपने नजदीकी जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है. आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है.
मुख्यमंत्री तालाब मात्स्यिकी विकास योजना के माध्यम से राज्य में हजारों मछली पालकों को आर्थिक संबल मिला है. बीज उत्पादन के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता की दिशा में बिहार निरंतर आगे बढ़ रहा है. यह योजना केवल उत्पादन ही नहीं बढ़ा रही, बल्कि राज्य के युवाओं और किसानों को उद्यमिता और रोजगार का भी मजबूत आधार प्रदान कर रही है.
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