केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है. इसमें कृषि क्षेत्र की भूमिका अहम होगी. ऐसे में पूरे मंत्रालय को यह लक्ष्य लेकर काम करना होगा कि अगले 25 साल में कृषि क्षेत्र का क्या होगा. साल 2047 में हम कहां खड़े होंगे, हमारी खेती की उत्पादन क्षमता क्या होगी, उत्पादकता क्या होगी, फसलों में कितना परिवर्तन आएगा और योजनाएं क्या होंगी और उनका लाभ किसानों तक कैसे पहुंचेगा. क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से कैसे निपटेंगे और नई टेक्नोलॉजी का कितना इस्तेमाल बढ़ेगा. इसे अभी से ध्यान में रखकर काम करना होगा. किसानों के साथ समन्वय हमारी जिम्मेदारी है. बार-बार लैब से लैंड तक की बात होती है. इतना काम कर देना है कि इस वाक्य को कभी कहने की जरूरत ही न पड़े.
तोमर शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित नेशनल एग्रीकल्चरल साइंस कांप्लेक्स में केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर को संबोधित कर रहे थे. मंत्रालय पहली बार कोई चिंतन शिविर आयोजित कर रहा है. शुक्रवार को इसका पहला दिन था. शिविर में अब तक चल रही योजनाओं और कृषि क्षेत्र से जुड़ी उपलब्धियों और कमियों की समीक्षा की जाएगी. अमृतकाल में कृषि विकास के साथ देश को आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखना है.
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केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है. राष्ट्रीय फलक पर देंखे तो वैश्विक मंदी एवं कोरोना के संकटकाल में भी हमारा कृषि क्षेत्र मजबूत बना रहा, इसे सामूहिक प्रयासों से और भी सशक्त बनाया जाए. हमारे कृषि क्षेत्र ने देश का पेट तो भरा ही, हम दुनिया के कई देशों की मदद भी कर सके. चिंतन शिविर में विचार होना चाहिए कि सरकार की किसान हितैषी योजनाएं और अधिक पारदर्शी कैसे हो, किसान हित में कामकाज और सरल हो, हमारे लक्ष्य कैसे पूरे हों. मिनिमम गर्वेनेंस हो और हमारी कार्यपद्धति की प्रशंसा की पात्र हो. तोमर ने इस संबंध में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना का उदाहरण भी दिया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन के अनुसार ही इस तरह के चिंतन शिविर आयोजित किए जा रहे हैं. जिसका परिणाम भी सरकार के कामकाज में परिलक्षित होता है. निरंतर अभ्यास चलता रहे तो परिणाम आते ही हैं. अच्छे कार्यों के लिए अच्छे वातावरण व सोच की जरूरत होती है. पूरी सरकार एक ही है, उसे समग्रता में देखना चाहिए, जिसकी कोशिश भी हुई है. विचारों में समन्वय एवं नीतियों में एकरूपता से ज्यादा अच्छे परिणाम आ सकते हैं. चुनौतियों का आकलन और उन्हें चिन्हित करते हुए नए लक्ष्य लेकर काम करना होगा.
इस मौके पर कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि हमें आगामी पांच साल की बजाय 25 साल का रोडमैप तैयार करना है. वर्ष 2047 तक देश को आत्मनिर्भर बनाने में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होगा. इस मौके पर कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक और कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राकेश रंजन सहित कई लोग मौजूद रहे. शिविर का उद्देश्य भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति, निर्यात बढ़ाने और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श कर भविष्य की कार्ययोजना तैयार करना है.
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