हरियाणा के खेरी चोपटा प्रखंड के 17 गांवों के किसानों ने खराब फसलों का मुआवजा ना मिलने पर सरकार पर आरोप लगाया है. किसानों का कहना है कि पिछले खरीफ सीजन में कपास की फसल को काफी नुकसान हुआ था. जिसका मुआवजा अभी तक उन्हें सरकार की ओर से नहीं मिला है. मुआवजा देने में राज्य सरकार अब तक विफल रही है. इतना ही नहीं खराब हुई फसलों का मुआवजा ना मिलने पर किसानों ने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है. दरअसल, पिछले साल अप्रैल में किसानों को यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. जिस वजह से किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था
आंदोलन के दौरान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधते हुए किसानों ने यह आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री फसल के नुकसान का आकलन करने और उसके अनुसार किसानों को मुआवजा देने के आश्वासन के बाद पीछे हट गए हैं. अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून के मुताबिक किसानों को अब तक पिछला मुआवजा भी नहीं मिला है. पिछले साल अप्रैल में किसानों को यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. जिस वजह से किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था लेकिन, अब तक किसानों को कोई भी मुआवजा नहीं दिया गया है.
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संयुक्त किसान मोर्चा के एक नेता, सुरेश कोठ, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होनें कहा कि उन्होंने खीरी कोप्टा से जिला मुख्यालय तक मार्च शुरू किया था. उन्होंने कहा, "हम मांग करते हैं कि सरकार उस समझौते का सम्मान करे, जो राज्य सरकार और किसानों के बीच हुआ था." पिछले साल, किसानों ने 16 मार्च को खीरी चोपटा प्रखंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में धरना शुरू किया, जब उन्हें पता चला कि प्रशासन ने विशेष गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार फसल क्षति के लिए किसानों को मुआवजे से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि नुकसान 25 फीसदी से कम था.
मुआवजा ना मिलने पर नाराज किसान फसल की विफलता के लिए नए सिरे से सर्वेक्षण की मांग की. बाद में, उपमुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद, जिला प्रशासन की एक समिति ने किसानों की फसल के नुकसान के मुद्दे का पुनर्मूल्यांकन किया, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि इस क्षेत्र में कपास की फसल को नुकसान हुआ है. साथ ही मूंग और ग्वार की उपज को भी नुकसान हुआ है.
जिला राजस्व अधिकारी और कृषि विभाग के उप निदेशक के अलावा नारनौंद और हिसार ब्लॉक के एसडीएम की कमेटी ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें यह कहा गया था कि खरीफ फसल -2021 को बेमौसम बारिश और गुलाबी सुंडी के हमलों से नुकसान हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया था कि, 'कपास की फसल को बाढ़ और पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) के हमले के कारण गुणवत्ता और मात्रा का नुकसान हुआ है. मूंग और ग्वार के दानों का रंग खराब होने से गुणवत्ता खराब हुई है.
वहीं किसानों ने आरोप लगाया है कि पिछले कुछ वर्षों से बार-बार फसल खराब होने के कारण उन्हें लगातार नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. कोठ ने आरोप लगाया, "इस साल भी, भारी मात्रा में फसलों की बरबादी हुई है. जिस वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है."
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