राजस्थान एक शुष्क राज्य है. यहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री के तक पहुंच जाता है. वहीं बेचने के लिए बाजार जाने तक गर्मी के कारण दूध फट जाता है. ऐसे में पशुपालक मवेशी का दूध जल्दी निकाल लेते हैं. जिससे नुकसान होता है. ये नुकसान आर्थिक के साथ-साथ पशुपालकों के सामाजिक स्तर को भी काफी प्रभावित करता है. इसके समाधान के लिए बीकानेर जिले के बज्जू में उरमूल सीमांत समिति की एक बहुला कंपनी ने बज्जू के फूलासर गांव में दूध संकलन केंद्र स्थापित किया है. इसमें आसपास के पशुपालक अपने दूध को लाते हैं और फिर यहां लगी इंस्टेंट मिल्क चिलर मशीन (Instant Milk Chiller Machine) से ठंडा कर बेचने जाते हैं. इससे दूध बेचने वालों को दूध पहुंचाने के लिए अतिरिक्त चार-पांच घंटे मिल जाते हैं.
इंस्टेंट मिल्क चिलर मशीन एक निश्चित मात्रा में दूध को कुछ सेकेंड्स में ही ठंडा करने वाली मशीन है. फूलासर गांव में लगी मशीन की क्षमता 400 लीटर की है. यहां लगी मशीन आईआईटी बॉम्बे की डिजाइन की हुई मशीन है. इस मशीन में बने टैंक में 400 लीटर तक दूध डाला जाता है और सिर्फ पांच मिनट की अंदर दूध का तापमान चार डिग्री सेल्सियस पर आ जाता है. इससे दूध की लाइफ दो-तीन घंटे बढ़ जाती है. इसके बाद पशुपालक अपने दूध को डेयरी तक सप्लाई करते हैं. पुखराज जोड़ते हैं कि फिलहाल हमारे पास गाय का दूध सबसे अधिक मात्रा में आ रहा है. इसके बाद कुछ मात्रा ऊंटनी के दूध की भी है.
उरमूल सीमांत समिति में दूध संबंधी काम देख रहे पुखराज जयपाल से किसान तक ने इंस्टेंट मिल्क चिलर मशीन की जरूरत को समझा. पुखराज जयपाल ने कहा, “उरमूल सीमांत समिति किसानों, पशुपालकों के साथ काम करती है. जहां यह आईएमसी मशीन लगाई गई है. वहां आसपास 20 किलोमीटर में फूलासर ही सबसे बड़ा गांव है. इस 20 किलोमीटर में दूर-दूर तक कई ढाणियां हैं. इसीलिए वहां से दूध इकठ्ठा करने में काफी वक्त लगता है. सुबह नौ-दस बजे तक इन ढाणियों से दूध इकठ्ठा करने का काम किया जाता है.”
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पुखराज ने आगे कहा, “जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है वो दूध के लिए खतरा बनता जाता है. 25 डिग्री सेल्सियस से तापमान अधिक होने पर दूध में बैक्टीरिया आने लगते हैं. ये हर 15 मिनट में दोगुने हो जाते हैं. इस तरह बैक्टीरिया बढ़ने पर दूध के फटने की संभावनाएं बढ़ती जाती हैं. इसीलिए हम इस 20 किलोमीटर की ढाणियों से दूध को फूलासर मिल्क चिलर मशीन पर लाते हैं.”
बज्जू तहसील के गांव फूलासर में 20 किलोमीटर के दायरे में करीब 10 छोटे-छोटे गांव हैं. इसमें से फिलहाल 30 पशुपालक अपना दूध फूलासर आईएमसी पर ला रहे हैं. अभी ये 30 पशुपालक 400 लीटर दूध ला रहे हैं. शाम को भी 400 लीटर दूध आता है. इस तरह फिलहाल एक दिन में यहां 800 लीटर दूध आ रहा है. धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है. पुखराज ने कहा, “जैसे-जैसे पशुपालकों की संख्या और दूध की मात्रा बढ़ेगी. हम मशीन की क्षमता भी बढ़ाते जाएंगे.”
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फूलासर में लगी इंस्टेंट मिल्क चिलर मशीन सौर ऊर्जा से चलती है. इसीलिए इसके लिए बिजली का खर्चा भी नहीं होता. फिलहाल सवा तीन किलोवाट का सोलर सिस्टम यहां लगा है. जैसे मशीन की क्षमता बढ़ेगी. सोलर सिस्टम की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी. सोलर की एक्स्ट्रा पावर से बैटरी चार्ज की जाती हैं. अगर कभी सोलर काम नहीं करता तो इस बैकअप से मशीन चलाई जाती है.
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