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गुजरात में धूम मचा रही 37 हजार सब्सिडी वाली गोबर धन योजना, हर राज्‍य में ग्रामीण ले सकते हैं लाभ

गुजरात में धूम मचा रही 37 हजार सब्सिडी वाली गोबर धन योजना, हर राज्‍य में ग्रामीण ले सकते हैं लाभ

केंद्र सरकार की गोबर धन योजना के तहत बायोगैस प्‍लांट लगाने का गुजरात में अच्‍छा असर देखने को मिल रहा है. यहां 97 प्रतिशत लक्ष्‍य हासिल कर लिया गया है. अब अतिरिक्त 10 हजार बायोगैस और लगाए जाएंगे. इस योजना का लाभ अन्‍य राज्‍यों के ग्रामीण इलाकों के पशुपालक भी ले सकते हैं. इस पर 37 हजार रुपये सब्सिडी मिलती है.

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बायोगैस प्‍लांट. (फोटो- एएनआई) बायोगैस प्‍लांट. (फोटो- एएनआई)

स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और सतत विकास पर ध्यान देते हुए गोबर-धन योजना (गैल्वेनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन योजना) लागू की है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर बायोगैस प्लांट लगाने पर 37,000 रुपये की सब्सिडी देती हैं. बायोगैस प्लांट से ग्रामीण क्षेत्रों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत, स्वच्छ वातावरण, स्वास्थ्य लाभ और रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. इस योजना को लेकर गुजरात में अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स देखने को मिल रहा है. वर्तमान में गुजरात में 7,200 से ज्‍यादा बायोगैस सुचारू रूप से चल रहे हैं, जिनसे पशुपालकों को फायदा हो रहा है. इनसे पारंपरिक ईंधन पर खर्च होने वाली लागत कम हो रही है. सभी राज्‍यों के पशुपालक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

2018 में शुरू हुई थी योजना

बता दें कि पीएम मोदी ने 17 सितंबर से 31 अक्टूबर तक 'स्वच्छता ही सेवा - 2024' अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का उद्देश्य पूरे देश में स्वच्छता कार्यक्रमों को गति देना है. 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान में गोबर-धन योजना के तहत स्थापित बायोगैस प्लांट भी स्वच्छ ईंधन का उत्पादन कर स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने में महत्‍वूपर्ण भूमिका निभा रहे हैं. गोबर-धन योजना को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय - पेयजल और स्वच्छता विभाग ने 1 नवंबर 2018 को लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्‍य मवेशियों के गोबर, कृषि अवशेषों और अन्य जैविक कचरे जैसे जैविक कचरे को बायोगैस, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) या बायो-सीएनजी में बदलकर बायोगैस का उपयोग खाना पकाने और बिजली पैदा करना है.

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पशुपालक को खर्च करने होंगे सिर्फ 5 हजार

योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालक के पास कम से कम दो पशुधन होना अन‍िवार्य है. बायोगैस प्‍लांट लगाने के लिए केंद्र सरकार और अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार प्रति यूनिट 37,000 रुपये की सब्सिडी देती हैं. हर 2-घन मीटर क्षमता वाले बायोगैस प्‍लांट के लिए लाभार्थी को 5,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर 25,000 रुपये की सब्सिडी देती हैं. वहीं, 12,000 रुपये मनरेगा की ओर से गड्ढे खोदने और घोल- गोबर, जैवि‍क अपशिष्‍ट इकट्ठा करने के लिए आते हैं. यानी 42 हजार रुपये में एक बायोगैस प्‍लांट लग जाता है. बायोगैस प्‍लांट लगाने के लिए बनास डेयरी, साबर डेयरी, दूध सागर डेयरी, अमूल डेयरी और एनडीडीबी को कार्यान्वयन एजेंसियों के तौर पर जिम्‍मेदारी दी गई है. 

10 हजार प्‍लांट और लगाने का लक्ष्‍य

गुजरात में 7,600 बायोगैस प्‍लांट लगाने का लक्ष्‍य रखा गया था, जिसमें अब तक कुल 7,276 स्थापित किए जा चुके हैं. राज्‍य ने 97 लक्ष्‍य पूरा कर लिया है. वहीं, क्लस्टर बायोगैस प्‍लांट पर काम चल रहा है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रदेश में 50 अतिरिक्त क्लस्टरों में 10,000 और बायोगैस प्‍लांट लगाने की योजना बनाई है. बायोगैस प्‍लांट से मिलने वाली जैविक खाद को बेचने के लिए सहकारी समिति बना आय बढ़ाई जा सकती है. स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं खाद सहकारी समितियों के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं और उन्हें रोजगार के नए अवसर मिले हैं.