खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत एफसीआई ने बुधवार को गेहूं नीलाम किया. 5वें दौर की इस नीलामी में एफसीआई ने 1.16 लाख टन गेहूं की नीलामी की है. एफसीआई ने दावा किया है कि इस बार नीलामी के लिए जितना गेहूं रखा गया था, उसका 94 फीसदी गेहूं बुधवार को बेचा गया है, पिछले दौर की तुलना में ये महत्वपूर्ण उछाल माना जा रहा है. क्योंकि पिछले दौर में मात्र 60 प्रतिशत गेहूं की बिक्री हुई थी. हालांकि खुली बिक्री में चावल की मात्रा पिछले दौर के 10 टन से बढ़कर 100 टन हो गई है.
असल में पिछले हफ्ते, सरकार ने प्रत्येक खरीदार के लिए प्रति क्षेत्र 1,000 टन की बोली लगाने के लिए राज्य में प्रति इकाई 100 टन की ऊपरी सीमा बढ़ा दी थी. लेकिन, व्यापारी आरक्षित मूल्य को 3,100 क्विंटल से कम करने की मांग कर रहे हैं. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 1.46 लीटर टन चावल की पेशकश की देश भर के 178 डिपो से की है.
खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सरकार ई-नीलामी के माध्यम से चावल, गेहूं और (आटे) की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कीमतों को स्थिर रखने के लिए प्रतिबद्ध है. असल में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,150 रुपये क्विंटल था, जबकि मौजूदा समय में गेहूं का मूल्य 2,182.68 रुपये क्विंटल है.
ये भी पढ़ें:- PM Kisan Yojana: पीएम किसान की 14वीं किस्त जारी, मोबाइल से ऐसे चेक करें पैसा आया या नहीं
FCI ने व्यापारियों को गेहूं की नीलामी से बाहर रखा. क्योंकि सरकार चाहती है कि अनाज के वास्तविक उपयोगकर्ता, जैसे आटा चक्की और बड़े आटा मिलर्स, बोलियों में भाग लें. वहीं प्रत्येक दौर के लिए न्यूनतम मात्रा 10 टन तय की गई है, जिसे कई स्थानीय लोग खरीदने के इच्छुक नहीं हैं. क्योंकि यह उनकी धारण क्षमता से अधिक है. गेहूं के लिए अधिकतम बोली मात्रा 100 टन प्रति इकाई तय की गई है.
अगर बात करें बाजार में गेहूं के दाम की तो सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद गेहूं का दाम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार 26 जुलाई को देश में गेहूं का अधिकतम दाम 4500 रुपये प्रति क्विंटल रहा यानी 45 रुपये किलो. भारत के साथ ही अलग-अलग देशों में गेहूं की बढ़ती कीमतों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. इन सब के पीछे का कारण रूस यूक्रेन वार है. क्योंकि रूस ने काला सागर समझौता खत्म कर दिया है, जिसकी वजह से गेहूं के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today