खेती-किसानी के परंपरागत तरीके अब बदल रहे हैं. इन बदले हुए तरीकों में सिंचाई भी शामिल है. पहले मानसून पर ही खेतों की सिंचाई की व्यवस्था थी. फिर कुएं, तालाबों और नहरों के जरिए सिंचाई होने लगी. लेकिन बीते कुछ दशकों में तकनीकी बढ़ने से सिंचाई के साधन भी अच्छे आए हैं. इससे कम पानी में अच्छी सिंचाई करना किसानों के लिए संभव हो पाया है. इन बदले हुए सिंचाई के तरीकों के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है. झुंझुनू जिले में भी सिंचाई की आधुनिक तकनीक जैसे मिनी फव्वारा और ड्रिप सिंचाई किसानों को अपनी ओर खींच रही है. सरकार भी अब खेतों में मिनी फव्वारा, फव्वारा और ड्रिप सिस्टम लगाने के लिए किसानों को ज्यादा अनुदान दे रही है. इसके लिए उद्यान विभाग ने लागत का 70-75 प्रतिशत अनुदान देने की शुरूआत की है.
पहले राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत किसानों को लागत का 50% अनुदान ही मिलता था. इससे कृषि और उद्यानिकी क्षेत्र में की जाने वाली फसलों को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिल सकेगा और क्षेत्र में फसल उत्पादन बढ़ेगा.
खेतों में मिनी फव्वारा, फव्वारा और ड्रिप सिस्टम लगाने के लिए किसानों को अब ज्यादा अनुदान दिया जाएगा. जिले में गिरता भूजल स्तर समस्या बनता जा रहा है. ऐसी स्थिति में कृषि एवं उद्यानिकी क्षेत्र में उगाई जाने वाली फसलों को समय पर पूरी मात्रा में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराने तथा उपलब्ध जल से अधिकतम क्षेत्र में फसल उत्पादन लिया जा सके.
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इसके लिए उद्यान विभाग ने मिनी फव्वारा, फव्वारा और ड्रिप इकाई लगाने पर लागत का 70 से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. पहले राजस्थान सुक्ष्म सिंचाई योजना में किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान मिलता था. परंतु अब इसे बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर दिया गया है. जबकि लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिला किसानों के लिए यह अनुदान 70 से 75 प्रतिशत कर दिया गया है.
बता दें कि झुंझुनू जिले में सभी किसान फव्वारा तकनीक से सिंचाई करते हैं. इसके अलावा 1500 हेक्टेयर मिनी फव्वारा और 2.5 हजार हेक्टेयर भूमि में किसान ड्रिप से सिंचाई करते हैं. अनुदान के बढ़ने से किसानों का इन तकनीकों की ओर रुझान बढ़ेगा.
फव्वारा, मिनी फव्वारा और ड्रिप सिस्टम अपने खेतों में लगाने के लिए किसान राज किसान साथी पोर्टल (https://rajkisan.rajasthan.gov.in/Rajkisanweb/Content ) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. सुक्ष्म सिंचाई संयंत्रों पर एक किसान न्यूनतम 0.2 हैक्टेयर तथा अधिकतम 5.0 हैक्टेयर पर सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं.
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इसके लिए किसानों को जमाबंदी की नकल, संयंत्र का कोटेशन, नक्शा ट्रेस, लघु, सीमांत किसान होने का प्रमाण पत्र, बिजली बिल, मिट्टी की जांच रिपोर्ट व आधार व जन आधार कार्ड आदि देकर पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकता है.
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