Bihar Digital Survey Issue: जमीन आरा में, रजिस्ट्री श्रीलंका में! बिहार के डिजिटल क्रॉप सर्वे में हुई बड़ी गड़बड़ी, किसान परेशान... जानिए प्रशासन ने क्या दी सफाई

Bihar Digital Survey Issue: जमीन आरा में, रजिस्ट्री श्रीलंका में! बिहार के डिजिटल क्रॉप सर्वे में हुई बड़ी गड़बड़ी, किसान परेशान... जानिए प्रशासन ने क्या दी सफाई

सर्वे में यह गड़बड़ी अक्षांश और देशांतर बदलने के कारण हुई है. लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा तेज़ हो गई है. किसानों ने प्रशासनिक कुव्यवस्था पर तंज़ कसते हुए कहा है कि अब वे खेती करने के लिए जल्द ही वीजा और पासपोर्ट लेकर श्रीलंका और हिंद महासागर की ओर रुख करेंगे.

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आरा के हजारों किसानों की जमीन पहुंची श्रीलंका! जानिए क्या है प्रशासनिक गड़बड़ीStock Image (Credit: Getty Images)

बिहार के आरा जिले में भूमि सर्वेक्षण में भारी गड़बड़ी सामने आई है. यहां डिजिटल क्रॉप सर्वे में जिले के 14 प्रखंडों के करीब 45 हजार प्लॉट हिंद महासागर और श्रीलंका में दर्ज कर लिए गए हैं. दस्तावेजीकरण में प्रशासन की इस गलती के बाद जमीन मालिकों की नींद उड़ी हुई है. आधिकारिक तौर पर मानें तो यह गड़बड़ी अक्षांश और देशांतर दर्ज करने में गलती के कारण हुई है.

प्रशासन का कहना है कि इस गलती में जल्द ही सुधार किया जाएगा. लेकिन सोशल मीडिया में आलोचना से बचना प्रशासन के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. डिजिटल सर्वे में हुई गड़बड़ी की चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों की जुबान तक पर है. किसान अब यहां तक कहने लगे हैं कि अब वह दिन दूर नहीं है जब उन्हें अपनी खेती के लिए वीजा और पासपोर्ट लेकर हिंद महासागर और श्रीलंका जाना पड़ेगा.

कैसे हुआ चूक का खुलासा?
किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डाटा उपलब्ध करने और जरूरतमंद किसानों को योजनाओं का उचित लाभ देने के उद्देश्य से डिजिटल क्रॉप सर्वे 20 दिसंबर से चल रहा है. जिला भूमि संरक्षण विभाग प्लॉट के डिजिटल सर्वे को विभागीय साइट पर अपलोड कर रहा है. अगिआंव, गड़हनी, तरारी आदि प्रखंड के प्लाटों को उसके सैटेलाइट डाटा के आधार पर अपलोड किया जा रहा है.

भारत के दक्षिण पश्चिम में मौजूद हिंद महासागर भले ही भोजपुर से 1200 किलोमीटर दूर है, लेकिन डिजिटल सर्वे में जिले के अधिकांश जमीन के टुकड़े समुद्र में दिख रहे हैं. इस चूक का पता तब चला जब कृषि विभाग के कर्मचारी प्रखंडों में प्लॉट का डिजिटल सर्वे करने में लगाए गए. ऐसा अक्षांश व देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ है.

हिंद महासागर में कैसे पहुंचे प्लॉट?
विभाग उन जमीनों को अपलोड नहीं कर पा रहा था जिनके आक्षांश और देशांतर में तकनीकी गड़बड़ी थी. कागज में जिस स्थान पर जिस मौजा और खेसरा का उल्लेख है, वह उस जगह पर नहीं दिखा रहा है. वह सीधे हिंद महासागर में दिख रहा था. कृषि विभाग के अनुसार यह गलती राजस्व विभाग की ओर से हुई है. राजस्व विभाग ने जमीन को नए सर्वे में अपलोड किया है. उसमें देशांतर की जगह अक्षांश और अक्षांश की जगह देशांतर के आंकड़े अपलोड कर दिए गए हैं. इस कारण जमीन के हजारों टुकड़ों का भूगोल बदल गया है.

डिजिटल क्रॉप सर्वे क्यों?
इस योजना के पूरे होने से किसान और विभाग को लाभ होगा. कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनका भू-अभिलेख आधार से लिंक होगा. किसानों से अपना भू-अभिलेख ठीक कराने को कहा गया है. इसके अलावा किसानों को फसल विशेष से जुड़ी योजनाओं का लाभ समय से मिलना सुनिश्चित करने में डिजिटल क्राप सर्वे मदद करेगा.

कृषि विभाग को 31 जनवरी तक 10 लाख प्लॉट के डिजिटल सर्वे का लक्ष्य दिया गया है. एक प्लॉट का सर्वे करने के लिए पांच रुपये का बोनस दिया जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 24 जनवरी तक 95 हजार जमीन के टुकड़ों का डिजिटल सर्वे हुआ है. इनमें 45 हजार प्लॉट के अक्षांश और देशांतर में गड़बड़ी मिली है. ये वे प्लाट हैं जिन्हें राजस्व विभाग ने सर्वे के बाद ऑनलाइन किया है.

प्रशासन ने क्या कहा?
इस बीच, कृषि पदाधिकारी शत्रुघ्न साहू ने कहा कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण ऐसा हो रहा है. और इंजीनियरिंग विभाग की टीम ही इसे ठीक कर लेगी. साहू ने कहा कि सभी प्रखंडों में डिजिटल सर्वे किया जा रहा है. इनमें प्रखंड अंतर्गत कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक आदि कर्मियों को लगाया गया है.

उन्होंने कहा, "उन्हीं प्लाटों का सर्वे किया जा रहा है जिनका परिमार्जन आनलाइन हो सका है. गड़बड़ी ठीक होने पर सर्वे को आगे जारी रखा जाएगा. जो सरकार के द्वारा लक्ष्य दिया गया है और समय दिया गया है उसके अनुरूप ही काम होगा. इसमें ज्यादा कोई परेशानी होने वाली बात नहीं है. अगर किसान अपने ऐप को फिर से रिफ्रेश करेंगे तो हो सकता है उन्हें सब कुछ ठीक मिले.
(बिहार के आरा जिले से सोनू कुमार सिंह की रिपोर्ट)
 

 

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