Indi Lime Export: भारत ने ओमान भेजी 3 मीट्रिक टन GI टैग वाले नींबू की खेप, जानिए कहां उगती है यह किस्‍म

Indi Lime Export: भारत ने ओमान भेजी 3 मीट्रिक टन GI टैग वाले नींबू की खेप, जानिए कहां उगती है यह किस्‍म

भारत के कृषि निर्यात को मजबूती देते हुए जीआई-टैग इंडी लाइम की पहली खेप ओमान पहुंची है. भारत-ओमान सीईपीए के बाद यह अहम कदम माना जा रहा है. खास खुशबू और लंबे शेल्फ लाइफ वाला यह नींबू अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय किसानों के लिए नए मौके खोल रहा है.

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Indi Lime Export: भारत ने ओमान भेजी 3 मीट्रिक टन GI टैग वाले नींबू की खेप, जानिए कहां उगती है यह किस्‍मओमान को इंडी लाइम का एक्‍सपोर्ट शुरू (सांकेतिक तस्‍वीर)

भारत के कृषि निर्यात को एक और नई दिशा देते हुए कर्नाटक के विजयपुरा जिले में उगाए जाने वाले जीआई-टैग प्राप्त इंडी लाइम (नींबू) ने ओमान के बाजार में औपचारिक एंट्री कर ली है. 19 दिसंबर 2025 को भारत से ओमान के लिए इस खास नींबू की पहली खेप रवाना की गई, जिसमें करीब 3 मीट्रिक टन इंडी लाइम शामिल रहा. यह उपलब्धि न केवल भारतीय कृषि उत्पादों के लिए अहम मानी जा रही है, बल्कि इससे क्षेत्रीय किसानों के लिए भी नए अवसर खुले हैं.

दोनों देशाें में व्‍यापार को दिया जा रहा बढ़ावा

इंडी लाइम की यह खेप ऐसे समय में ओमान पहुंची है, जब हाल ही में भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता यानी सीईपीए या मुक्त व्यापार समझौता लागू हुआ है. इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना और भारतीय उत्पादों के लिए विदेशी बाजारों में पहुंच को आसान बनाना है.

ऐसे में इंडी लाइम का ओमान पहुंचना इस समझौते के शुरुआती सकारात्मक नतीजों में गिना जा रहा है. इससे पहले इंडी लाइम ने खाड़ी बाजार में अपनी पहचान बनाई थी. अगस्त 2025 में इसकी पहली अंतरराष्ट्रीय खेप दुबई भेजी गई थी, जिसमें भी 3 मीट्रिक टन नींबू का निर्यात हुआ था.

दुबई और यूके भेजी जा चुकी खेप

दुबई के बाजार में इंडी लाइम को अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी, जिसके बाद वहां इसके निर्यात में तेजी आई है. शुरुआती खेप के मुकाबले चार गुना अधिक यानी करीब 12 मीट्रिक टन इंडी लाइम दुबई भेजा जा चुका है. यही नहीं, बाजार विविधीकरण की रणनीति के तहत 350 किलोग्राम इंडी लाइम यूनाइटेड किंगडम भी भेजा गया है. अब तक विजयपुरा जिले से कुल करीब 12.35 मीट्रिक टन इंडी लाइम का निर्यात किया जा चुका है.

GI टैग मिलने के बाद बढ़ी इंडी लाइम की मांग

इंडी लाइम को यह पहचान उसके भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग मिलने के बाद मिली है. यह नींबू अपनी खास खुशबू, अधिक रस की मात्रा और लंबे समय तक खराब न होने की क्षमता के लिए जाना जाता है. जीआई टैग मिलने से यह साबित होता है कि यह उत्पाद एक खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा है और उसकी गुणवत्ता और पहचान उसी क्षेत्र की विशेषता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यही पहचान इंडी लाइम को अन्य सामान्य नींबू से अलग बनाती है.

APEDA ने निभाई अहम भूमिका

इस पूरे निर्यात अभियान में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीडा की अहम भूमिका रही है. एपीडा लगातार जीआई-टैग प्राप्त कृषि उत्पादों के प्रचार, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा दे रहा है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों और फाइटोसैनिटरी नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में भरोसेमंद बने रहें.

इंडी लाइम के निर्यात से सीधे तौर पर विजयपुरा जिले के किसानों को फायदा मिला है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच मिलने से किसानों को बेहतर कीमत मिल रही है और उन्हें घरेलू बाजार के उतार-चढ़ाव पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है. इससे किसानों की आय में स्थिरता आने की उम्मीद है.

विशेषज्ञों का मानना है कि इंडी लाइम की सफलता यह दिखाती है कि भारत क्षेत्र विशेष से जुड़े उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों का भरोसेमंद वैश्विक आपूर्तिकर्ता बन सकता है. आने वाले समय में ऐसे जीआई-टैग उत्पाद न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे, बल्कि भारत के कृषि निर्यात तंत्र को भी और मजबूत करेंगे. (एएनआई)

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