Oilmeal Export: नवंबर में तेलखली के निर्यात में आई बड़ी गिरावट, SEA ने कही ये बात

Oilmeal Export: नवंबर में तेलखली के निर्यात में आई बड़ी गिरावट, SEA ने कही ये बात

SEA के आंकड़ों के अनुसार नवंबर में तेलखली निर्यात घटकर 2.70 लाख टन रह गया. सरसों और सोयाबीन मील की उपलब्धता और मांग में कमी से निर्यात पर असर पड़ा. चीन से सरसों मील और यूरोप से सोयाबीन मील को सीमित सहारा मिला.

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Oilmeal Export: नवंबर में तेलखली के निर्यात में आई बड़ी गिरावट, SEA ने कही ये बातसोयाबनी खली (AI Image)

भारत से तेलखली (Oilmeals) के निर्यात में नवंबर 2025 में साफ गिरावट दर्ज की गई है. अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में निर्यात 27 फीसदी घट गया. इसकी बड़ी वजह सोयाबीन खली, सरसों खली और कैस्टरसीड मील (अरंडी बीज की खली) जैसी प्रमुख तेलखलों की खेप में कमी मानी जा रही है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2025 में भारत ने कुल 2.70 लाख टन तेलखल का निर्यात किया, जबकि अक्टूबर में यह आंकड़ा 3.71 लाख टन था. एक साल पहले नवंबर 2024 में कुल निर्यात 3.63 लाख टन रहा था.

इन तेलखली के निर्यात में आई गिरावट

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में सोयाबीन खली का निर्यात 1.13 लाख टन रहा, जो अक्टूबर में 1.80 लाख टन था. इसी तरह सरसों खली का निर्यात घटकर 1.09 लाख टन रह गया, जबकि अक्टूबर में यह 1.45 लाख टन था. कैस्टरसीड मील का निर्यात भी घटकर 22,496 टन पर आ गया.

चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल से नवंबर के बीच भारत का कुल तेल खली निर्यात 27.34 लाख टन रहा. यह पिछले साल की समान अवधि के 27.51 लाख टन के मुकाबले 0.62 फीसदी कम है.

SEA के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के अनुसार, सरकार द्वारा 3 अक्टूबर से डी-ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटाने के बाद अक्टूबर और नवंबर में वियतनाम और नेपाल को 38,257 टन डी-ऑयल्ड राइस ब्रान (तेलरहित चावल भूसी) का निर्यात किया गया.

चीन बना बड़ा फैक्टर

सरसों मील के निर्यात में चीन की भूमिका इस साल खास रही. अप्रैल से नवंबर 2025-26 के दौरान भारत ने 13.62 लाख टन सरसों मील का निर्यात किया, जो पिछले साल की समान अवधि से ज्यादा है. इस दौरान अकेले चीन ने 6.44 लाख टन सरसों खली आयात किया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा सिर्फ 25,624 टन था.

हालांकि, मेहता ने कहा कि कि सीजन के अंतिम दौर में सरसों की घरेलू पेराई कम होने से सरसों खली की उपलब्धता घट गई है, जिसका असर हालिया महीनों में निर्यात की रफ्तार पर पड़ा है. कुछ नई भारतीय कंपनियों को चीन के GACC से मंजूरी मिलने या प्रक्रिया में होने से आगे चलकर निर्यात को सहारा मिल सकता है. 

सोयाबीन खली को यूरोप से सहारा

सोयाबीन खली के निर्यात को अक्टूबर और नवंबर में फ्रांस और जर्मनी से मजबूत मांग का भी फायदा मिला. हालांकि, घरेलू बाजार में बीते दो साल से पशु आहार निर्माताओं की मांग कमजोर बनी हुई है. इसकी वजह यह है कि वे सोयाबीन मील की जगह सस्ते DDGS का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं, जो मक्का और चावल से बनने वाले एथेनॉल का उप-उत्पाद है. 

ये हैं तेलखल के मुख्‍य आयातक

अप्रैल से नवंबर 2025-26 के दौरान दक्षिण कोरिया ने भारत से 2.65 लाख टन तेलखल आयात किया, जो पिछले साल से काफी कम है. चीन ने इस अवधि में 6.51 लाख टन तेलखल मंगाया, जिसमें ज्यादातर हिस्सा सरसों मील का रहा. बांग्लादेश को 3.05 लाख टन तेलखल का निर्यात हुआ. वहीं, यूरोप में जर्मनी और फ्रांस भारत से सोयाबीन मील के बड़े खरीदार बने रहे. 

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