देश में तंगहाली से परेशान किसानों की आत्महत्या के मामले नहीं थम रहे हैं. हर साल किसानों और खेत में काम करने वाले मजदूरों की आत्महत्या के हजारों मामले सामने आते हैं. इस बीच तेलंगाना के मेडचल-मलकाजगिरी जिले में कृषि कार्यालय परिसर में कर्ज में डूबे एक किसान ने आत्महत्या कर ली. दरअसल, किसान राज्य सरकार की ओर से फसल लोन माफ करने के आश्वासन के बाद से कई दफ्तरों के चक्कर काट रहा था. लेकिन अंत में अधिकारियों के ढील-पोल रवैये से परेशान होकर 52 वर्षीय किसान सुरेंद्र रेड्डी ने अपनी जान दे दी.
'तेलंगाना टुडे' की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरेंद्र रेड्डी मूल रूप से दुब्बाक मंडल के चित्तपुर गांव के रहने थे, जो इन दिनों मेडचल में ही रह रहे थे. शुक्रवार को सुरेंद्र मेडचल स्थित कृषि कार्यालय पहुंचे और वहां परिसर में रेलिंग से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. सुरेंद्र ने आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (APGVB) के माध्यम से 1.92 लाख रुपये का फसल लोन लिया था. वह चित्तपुर में अधिकारियों से बार-बार लोन माफी की अपील कर रहे थे, लेकिन लोन माफ नहीं हुआ, जबकि उनके भाई रविंद्र रेड्डी का लोन माफ किया जा चुका था. रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय लोगों ने मेडचल पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद एक टीम मौके पर पहुंची और केस दर्ज किया.
यह घटना तेलंगाना में हुई है जहां सरकार ने किसानों के लिए बड़े पैमाने पर लोन माफी का अभियान शुरू किया है. यहां के हजारों किसानों का कृषि कर्ज माफ हुआ है और आगे भी इसे जारी रखने का सरकार ने आश्वासन दिया है. हालांकि वैसे किसानों की एक बड़ी संख्या भी है जो कर्जमाफी की सुविधा से वंचित हैं और सरकार से इसके लिए गुहार लगा रहे हैं. खुदकुशी करने वाले सुरेंद्र रेड्डी वैसे किसान थे जो कर्जमाफी के लिए गुहार लगा रहे थे, लेकिन वे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सके और अंत में तंग आकर अपनी जान दे दी.
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बता दें कि देशभर में सूखा पड़ने, बाढ़ और रोग के प्रकोप से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है. छोटे और सीमांत किसान ब्याज पर पैसे लेकर फसल उगाते हैं, लेकिन जब प्राकृतिक आपदाओं और अन्य कारणों से फसल बर्बाद हो जाती है तो उनके पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं होते और वे आत्महत्या जैस कदम उठा लेते हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में देश में 10881 किसानों ने आत्महत्या कर जान दी थी, जबकि 2022 में 11290 किसानों और मजदूरों ने अपनी जान दी थी.
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