सर्दि‍यों में भी ठंडा रहा खारी बावली बाजार, क्यों मंदा पड़ा है ड्राई-फ्रूट कारोबार

सर्दि‍यों में भी ठंडा रहा खारी बावली बाजार, क्यों मंदा पड़ा है ड्राई-फ्रूट कारोबार

अक्टूबर से लेकर फरवरी को सूखे मेवा का सीजन माना जाता है. कुल मिलाकर हर चीज के लिए फ्रेश मेवा बाजार में मौजूद होती है. पुरानी मेवा खत्म करने के बाद दुकानदार नई फसल का स्टॉक करते हैं. 

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सर्दि‍यों में भी ठंडा रहा खारी बावली बाजार, क्यों मंदा पड़ा है ड्राई-फ्रूट कारोबार अखरोट का फाइल फोटो.

देश के प्रमुख मेवा बाजार खारी बावली से रौनक गायब है. कभी जिस सड़क पर पैदल चलना मुश्क‍िल होता था, वहां वाहन दौड़ रहे हैं. सर्दियां गुजर गईं, शादी-ब्यागह का सहलग भी शुरू हो चुका है, लेकिन ग्राहक हैं कि बाजार में कदम रखने को भी तैयार नहीं है. अक्टूबर-नवंबर में आई मेवा का नया स्टाॅक भी गोदामों में रखा ही रह गया है, जितनी मेवा अब बिक रही है, उतनी तो गर्मियों में आराम से बिक जाती है. यह कहना है खारी बावली में 80 साल से दुकान जमाए बैठै शमशेर सुराना का. गौरतलब रहे खारी बावली देश की सबसे बड़ी रिटेल और होलसेल की मेवा मार्केट है.  

बीते साल कोरोना-लॉकडाउन के चलते नई फसल आने के बाद भी रेट पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था. वहीं जानकारों का दावा है कि इस बार भी सूखे मेवा के रेट कोई बहुत ज्यादा नहीं हैं. क्योंकि दिसंंबर-जनवरी में मेवा पर जो तेजी आनी चाहिए वो नहीं आई है, क्योंकि कोरोना की खबरों ने बाजार की भीड़ को हल्का कर दिया है.  

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गोदाम में रखी रह गई नई फसल की मेवा 

शमशेर सुराना ने किसान तक को बताया कि बेशक कोरोना से उबरे हुए वक्त हो चुका है. लेकिन, सच्चाई यह है कि बाजार अभी तक नहीं उबर पाए हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो यह दूसरा मौका है जब नई फसल की मेवा गोदामों में रखी रह गई है. सर्दियों की दस्तक के साथ ही बादाम, अखरोट और पिस्ते आदि की नई फसल बाजार में आ जाती है. साल 2020 से पहले तक तो यह था कि अप्रैल तक ज्यादातर स्टॉक निपट जाता था. जो थोड़ा बहुत बचता था वो ईद और जन्मष्टामी पर बिक जाता था और फिर थोड़ी बहुत मेवा तो सालभर ही खाई जाती है.  

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बीते साल से एक रुपया नहीं बढ़ा, फिर भी नहीं बिकी मेवा 

मेवा के दुकानदार मुवीन शेख का कहना है कि अक्टूबर-नवंबर से ही बाजार में अच्छा बादाम होलसेल रेट में 575 रुपये किलो तक बिक रहा है. अमेरिका और चिली का अखरोट 11 सौ रुपये किलो बिक रहा है. कश्मीरी अखरोट 900 रुपये किलो वाला भी है. काजू की बात करें तो वो 800 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है. मेवा का जो रेट बीते साल था वही आज भी है. मेवा पर एक रुपया भी नहीं बढ़ा. हमारी खारी बावली की पहचान भी ताजा मेवा से ही है. बावजूद इसके ग्राहक बाजार की गलियों से गायब हैं. इक्का-दुक्का ग्राहक जरूर दिखाई पड़ जाते हैं. 

शादी-ब्याह के सहलग में भी एक-दो ग्राहक

जामा मस्जिद के पास नूरी मसाले के नाम से कारोबार करने वाले आसिफ बताते हैं कि शादियों का सीजन शुरू हो चुका है. खूब शादी-ब्याह हो रहे हैं. लेकिन खरीदारों की भीड़ मेवा बाजार से गायब है. जो थोड़े बहुत आ भी रहे हैं तो वो बड़े ही कसे हुए हाथों से मेवा की खरीदारी कर रहे हैं. इसके पीछे बाजार का उतार-चढ़ाव भी बड़ा जिम्मेदार है. 

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