सफलता की यह कहानी मध्य प्रदेश के दतिया की है. यहां शासन की विभिन्न योजनाओं से महिलाओं को रोज नए अवसर मिल रहे हैं और उनके सपनों को नए पंख मिल रहे हैं. पहले के समय में महिलाएं केवल घर की दहलीज तक ही सीमित रह जाती थीं और घर के काम काज करती थीं लेकिन आज की महिला तुलनात्मक रूप से जागरूक और आत्मनिर्भर हुई है. निश्चित तौर पर महिलाओं के हौसलों को नई बुलंदियां मिली हैं. आज वे पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर उनके विभिन्न कार्यों में उनका सहयोग कर रही हैं.
ऐसी ही कहानी सेरसा की रहने वाली सुनीता झा की है. सुनीता के परिवार में उनके पति और उनके दो बेटे हैं. बेटे पढ़ने में बहुत ही होनहार हैं. सुनीता बताती हैं कि घर की आर्थिक स्थिति पहले बहुत ही खराब थी. कई दिनों तक रोजगार ढूंढने के बावजूद उनके पति को कोई रोजगार नहीं मिल पा रहा था. सुनीता को घर के छोटे मोटे खर्चों और बच्चों की पढ़ाई के लिए आर्थिक रूप से पूर्ति नहीं हो पाती थी. कुछ समय तक उनके पति ने ड्राइवरी का काम किया जिससे थोड़ा-थोड़ा पैसा आने लगा.
सुनीता ने बताया कि जब उन्हें पता चला तो उन्होंने गणेश स्वयं सहायता समूह से जुड़ने और उसके लाभ के बारे में जानकारी ली. सुनीता बताती हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं थी. वे आत्म निर्भर बनना चाहती थीं और अपने घर की स्थिति को ठीक करने के लिए रोजगार पाना चाहती थीं. सुनीता गणेश स्वयं सहायता समूह से जुड़ गईं. फिर उन्होंने अपनी अरबी की खेती शुरू की जिससे उन्हें महीने 15000 रुपये का मुनाफा हो रहा है और वो बहुत खुश हैं. सुनीता कहती हैं कि आज आज उनके पति के सहयोग से और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इतना मुनाफा कमाने में सक्षम हुई हैं कि घर के खर्चे भी चल जा रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई में भी बाधा नहीं आ रही है. आज वो बहुत खुश हैं.
खुशी का इजहार करते हुए सुनीता झा देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद व्यक्त करती हैं. उनका कहना है कि शासन की ओर से चलाई जा रही महिलाओं के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उनके जैसी महिलाओं के लिए रामबाण साबित हो रहा है. वे अन्य सभी महिलाओं से आग्रह करती हैं कि सभी महिलाएं जागरूक बनें और आगे आएं और शासन की इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाएं और आत्मनिर्भरता के नए आयाम रचें.
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