डेयरी सेक्टर तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है. जब तक देश में 140 करोड़ पेट हैं और उनकी जेब में पैसा है तब तक ये रफ्तर रुकने वाली नहीं है. बढ़ती जनसंख्या डेयरी को और तरक्की देगी. 50 साल पहले दूध का उत्पादन 24 मिलियन टन था और अब 231 मिलियन टन है. आज हमारे देश में हर रोज 60 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. नौकरी के रास्ते भी खूब खुल रहे हैं. जब भी दूध प्रोसेस करने की क्षमता बढ़ती है तो एक लाख लीटर पर छह हजार लोगों के लिए नौकरी के रास्ते खुलते हैं. इसमे से पांच हजार जॉब गांव में तो एक हजार शहर में होती हैं.
ये कहना है डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का. हैदराबाद में आयोजित हो रहे 50वीं डेयरी इंडस्ट्री कांफ्रेंस में उन्हों ने ये बात कही. वहीं नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के प्रेसिडेंट डॉ. मीनेश शाह का कहना था कि कभी दूध की कमी वाला हमारा देश आज दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है.
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जब भी जरूरत महसूस हुई तो डेयरी सेक्टर ने खुद को टेक्नोनलॉजी के साथ अपडेट किया. ये कहना है डेयरी सेक्टर की बड़ी कंपनियों के सीईओ और एमडी का. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के एमडी एमके जगदीश ने उदाहरण देते हुए बताया कि आज हमारे साथ हजारों गांवों के लाखों पशुपालक जुड़े हुए. हम हर रोज अपने पशुपालकों को 28 करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं. वहीं प्रोम्पट इनोवेशन के सीईओ डॉ. सुधीन्द्र ने बताया कि आज बाजार में छोटे चिलिंग प्लांट भी हैं जो एक घंटे में दूध को ठंडा कर देते हैं. वहीं टैंकर में लगा उपकरण दूध लेते वक्त ही उसकी तीन तरह की जांच कर लेता है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो आज आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल भी डेयरी सेक्टर में हो रहा है.
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एनडीडीबी के प्रेसिडेंट डॉ. मीनेश शाह का कहना है कि किसान और पशुपालक सबसे ज्यादा जोखिम लेते हैं. आज इन्हीं की बदौलत दूध की कमी वाला देश दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है. इसलिए हमे छोटे डेयरी वालों को मजबूत करने की जरूरत है. इसके लिए हमे करना ये चाहिए कि उपभोक्ता से होने वाली कमाई का 70 से 85 फीसद हिस्सा दूध उत्पादक को वापस कर दिया जाए.
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