Poultry: ऐग-चिकन एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए बायो सिक्योरिटी पर हो रही चर्चा, जानें वजह

Poultry: ऐग-चिकन एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए बायो सिक्योरिटी पर हो रही चर्चा, जानें वजह

आज क्लाइमेट चेंज के चलते बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. अगर हम अपने पशु-पक्षी और उनसे मिलने वाले प्रोडक्ट को बीमारी फ्री रखना चाहते हैं तो हमे पशु-पक्षियों के फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी का पालन करना होगा. कोविड, स्वानइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पहले पशु-पक्षियों हुई और उसके बाद इंसानों में आई हैं.

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Poultry: ऐग-चिकन एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए बायो सिक्योरिटी पर हो रही चर्चा, जानें वजहअंडे और चिकन का एक्सपोर्ट बढ़ाने की कोश‍िशें चल रही हैं. फोटो क्रेडिट-किसान तक

हर साल पोल्ट्री प्रोडक्ट ऐग-चिकन के उत्पादन में आठ से 10 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है. घरेलू बाजार में डिमांड बढ़ने के साथ ही दूसरे देश भी भारतीय पोल्ट्री प्रोडक्ट की ओर देख रहे हैं. यही वजह है कि पोल्ट्री सेक्टर हो या केन्द्र सरकार सभी की कोशिश है कि किसी भी तरह से पोल्ट्री प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ाया जाए. इसी को लेकर हाल ही में पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने पोल्ट्री से जुड़े कारोबारियों की एक बैठक बुलाई थी. बैठक के दौरान दूसरे मामलों पर चर्चा करने के साथ ही बायो सिक्योरिटी पर भी खास जोर दिया गया. 

मंत्रालय का साफ संदेश है कि जब तक हम ऐग-चिकन की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देंगे वो एक्सपोर्ट के मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे. इसलिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ना करने के साथ ही बायो सिक्योरिटी के मानकों का कड़ाई के साथ ही पालन करना होगा. 

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बायो सिक्योरिटी से बढ़ेगी गुणवत्ता और बाजार में मिलेगी एंट्री

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा ने किसान तक को बताया कि 22 दिसम्बर को पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में एक बैठक हुई थी. बैठक पोल्ट्री प्रोडक्टन का एक्सपोर्ट कैसे बढ़ाया जाए इसलिए बुलाई गई थी. बैठक के दौरान कई मामलों पर चर्चा करने के साथ ही ऐग-चिकन की क्वायलिटी पर बात की गई. क्योंकि एक्सपोर्ट के दौरान प्रोडक्ट की कई स्तर पर जांच होती है.

जांच में पास होने के बाद ही प्रोडक्ट दूसरे देश के बाजार में पहुंचता है. इसी को ध्यान में रखते हुए बायो सिक्योरिटी के मानकों का पालन करने की बात कही गई. मंत्रालय की ओर से सचिव अलका उपाध्याय ने भी एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ना करने और बायो सिक्योरिटी के नियम अपनाने की बात रखी गई है. क्योंकि सच तो यही है क‍ि फार्म में बायो सिक्योरिटी का पालन होने से ही बीमारियां दूर रहेंगी.

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ऐसे करें फार्म की बायो सिक्योरिटी 

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो बॉयो सिक्योरिटी प्लान के तहत सबसे पहले अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर या पक्षी आपके फार्म में नहीं घुस सकें. अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्तेमाल हाथ साफ करने के लिए हो. हाथ सेनेटाइज करने के बाद ही पशु-पक्षियों को हाथ लगाएं. पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेमाल कर हाथ साफ करें, जिससे पशु-पक्षियों की बीमारी इंसानों को न लगे.

अगर कोई व्यक्ति बाहर से फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हें सेनेटाइज करें. हाथ और उसके कपड़ों को भी सेनेटाइज कराएं. मुमिकन हो तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं. जब भी फार्म पर कोई नया पशु-पक्षी आए तो उसे कम से कम 15 दिन के लिए अपने पशुओं से अलग कमरे या जगह पर रखें. मौसम के हिसाब से फार्म का रखरखाव करें. खासतौर से बरसात के मौसम में जब मच्छर-मक्खियों का प्रकोप ज्यादा होता है.   

 

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