धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देगा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, म‍िलेंगे 35 हजार डाॅलर

धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देगा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, म‍िलेंगे 35 हजार डाॅलर

हिसार में नेक्सस गेन परियोजना के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) फिलीपींस,  केंद्रीय मृदा लवण्ता अनुसंधान केंद्र (सीएसएसआरआई) करनाल और चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों की संयुक्त मीटिंग हुई है.

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धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देगा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, म‍िलेंगे 35 हजार डाॅलर  हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को मिली अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजना

हर‍ियाणा कृष‍ि व‍िश्व‍व‍िद्यालय ह‍िसार धान की सीधी ब‍िजाई को बढ़ावा देगा. इसके ल‍िए व‍िश्वव‍िद्यालय को एक अंतरराष्ट्रीय शोध पर‍ियोजना म‍िली है. इस पर‍ियोजना के तहत व‍िश्वव‍िद्यालय को 35 हजार डॉलर का बजट आवंट‍ित क‍िया जाएगा. इसी कड़ी में 21 फरवरी को हिसार में नेक्सस गेन परियोजना के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) फिलीपींस,  केंद्रीय मृदा लवण्ता अनुसंधान केंद्र (सीएसएसआरआई) करनाल और चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों की संयुक्त मीटिंग हुई, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति और परियोजना प्रमुख प्रो. बीआर काम्बोज ने की. तो वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप-महानिदेशक (शिक्षा) डॉ. आरसी अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.

कुलपति और परियोजना प्रमुख प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि हरियाणा में यह परियोजना करनाल, पानीपत, सोनीपत और यमुनानगर जिलों में धान की सीधी बिजाई द्वारा जल संरक्षण पर केंद्रित रहेगी, जिसमें अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) फिलीपींस, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र (सीएसएसआरआई) करनाल और चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों की भागीदारी रहेगी.

इसके अंतर्गत धान की सीधी बिजाई का जिओ मेैपिंग के माध्यम से उपयुक्त एरिया और इस तकनीक से किसानों द्वारा वास्तविक जल संरक्षण की मात्रा का आकलन किया जाएगा. ताकि तकनीक की पूरी जानकारी से किसानों को अवगत कराया जा सके और इस तकनीक को जल संरक्षण के लिए उपयुक्त तरीके से इस्तेमाल में लाया जा सके. इसके अलावा धान के क्षेत्रों में फसल विविधीकरण के विकल्पों का आकलन भी किया जाएगा. ताकि कृषि में जल की खपत को कम किया जा सके.

किसानों को किया जाएगा सशक्त

विशिष्ट अतिथि डॉ. आर सी अग्रवाल ने बताया कि यह शोध परियोजना समय की जरूरत है. तथा इससे धान की सीधी बिजाई के बारे में किसानों को सशक्त किया जाएगा. जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा तथा ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक साबित होगा.

क्या है इसका उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) फिलीपींस से परियोजना प्रमुख डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि नेक्सस गेन परियोजना मध्य और पश्चिम एशिया, उत्तर अफ्रीका, पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में 5 नदी जलाशयों के क्षेत्रों में चल रही है. यह परियोजना सीजीआईएआर की एक बहु-लाभदायी पहल है. जिसका उद्देश्य चयनित ट्रांस-बाउंड्री नदी घाटियों में पानी, ऊर्जा, भोजन और पारिस्थितिक तंत्र में लाभ प्राप्त करना है. सिस्टम सोच को मजबूत करने के लिए अनुसंधान और क्षमता विकसित करके और विकास के लिए विश्लेषण और अनुसंधान के लिए उपकरण, दिशा-निर्देश, प्रशिक्षण और सुविधा प्रदान करना है.

35 हजार डॉलर बजट का आवंटन

अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बताया कि इसके अंतर्गत कार्य करने के लिए अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) फिलीपींस ने विश्वविद्यालय को 35 हजार डॉलर बजट का आवंटन किया है. इस मीटिंग में परियोजना के अंतर्गत होने वाले शोध कार्यों की रूपरेखा तैयार की गई, जिसमें अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान फिलीपींस से परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. प्रलोय, डॉ. अमित कुमार, डॉ. प्रकाशन, डॉ. जसबीर, डॉ. श्वेता, डॉ. पवन और डॉ. स्वतंत्र, सीएसएसआरआई से डॉ. आरके यादव, डॉ. सतेंद्र सिंह और डॉ. गजेंद्र यादव साथ ही विश्वविद्यालय से डॉ. राजबीर गर्ग केवीके पानीपत, डॉ. जितेंद्र बामल केवीके सोनीपत, डॉ. महासिंह केवीके करनाल और डॉ. संदीप रावल केवीके यमुनानगर, डॉ. दलीप बिश्नोई एवं डॉ. सुरेश कुमार आदि शामिल हुए.

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