बिहार की कृषि व्यवस्था को सुदृढ करने के लिए चौथे कृषि रोड मैप को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 2023 से 2028 तक के लिए बन रहे कृषि रोडमैप-4 में कृषि विभाग के लिए कई प्रस्तावित कार्य योजना तैयार किया गया है. कृषि रोड मैप में आने वाले पांच साल के दौरान सरकार जलवायु अनुकूल खेती, फसल उत्पादन, जैविक खेती, कृषि बाजार, डिजिटल कृषि सहित बीज,कृषि अनुसंधान और भूमि जल संरक्षण, बगावनी सहित अन्य क्षेत्रों में कार्य करेगी. वहीं जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए हर साल करीब डेढ़ लाख किसानों को प्रशिक्षण दी जाएगा. साथ ही गांवों की संख्या में इजाफा होगा. इसके अलावा डिजिटल कृषि के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक तथा ड्रोन और सेंसर तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है. विशेष तौर से बगावनी में नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जानी है.
बता दें कि बिहार के किसानों को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नीतीश सरकार द्वारा अब तक तीन कृषि रोडमैप बनाया जा चुका है. कृषि रोड मैप-4 को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस कृषि मैप में करीब 12 विभागों को सम्मिलित किया गया है. इन्हीं विभागों में से एक कृषि विभाग पांच साल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करेगी. कृषि विभाग के लिए निम्न कार्य योजना प्रस्तावित किया गया है.
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फसल उत्पादन के क्षेत्र में जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर साल डेढ़ लाख किसानों को प्रशिक्षण दी जानी है. वहीं तीसरे रोड मैप में करीब ढाई लाख से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. साथ ही जलवायु अनुकूल चयनित गांव को बीज हब के रूप में विकसित किया जाएगा. अब तक जलवायु अनुकूल कृषि के लिए करीब 190 गांव को फसल विविधीकरण में बढ़ावा मिला है. इसके अलावा जंगली पशुओं से फसल की सुरक्षा के लिए वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ मिलकर घोड़परास, जंगली सुअर की संख्या को नियंत्रित किया जाएगा. जंगली पशुओं को भगाने के लिए मशीन एवं जानवरों से ग्रसित क्षेत्रों में फसल पद्धति में बदलाव को बढ़ावा दिया जाएगा. फसल विविधीकरण के अंतर्गत धान, गेहूं के साथ-साथ मक्का, दलहन, तिलहन,फल, सब्जी एवं फूल,औषधीय खेती पर विशेष जोर रहेगा. जलवायु अनुकूल कृषि अंतर्गत फसल चक्र के लिए बाजार, मंडुआ, कोदो और मोटे अनाज की खेती का विस्तार होगा.
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चौथे रोड मैप में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए क्षेत्र विस्तार के साथ-साथ जैविक उत्पादन के लिए विशिष्ट बाजार की स्थापना की जाएगी. हाल के समय में राज्य के करीब 13 जिलों में जैविक कॉरिडोर बनाकर खेती की जा रही है. लेकिन जैविक फसलों के लिए बेहतर बाजार नहीं होने के कारण किसानों को काफी परेशानी होती है. कृषि बाजार व्यवस्था में सुधार को लेकर राज्य के 54 बाजार प्रांगण का विकास निर्धारित समय सीमा के अंदर पूर्ण कराया जाएगा.
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राज्य में बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए बीज गुणन प्रक्षेत्र तथा उद्यान नर्सरी का पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत स्थानीय उद्यमी किसान, किसान उत्पादक समूह,विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र ,जीविका समूह के माध्यम से बीज उत्पादन तथा कृषि अनुसंधान संस्थानो की जमीन का बीज उत्पादन के लिए बढ़ावा दिया जाएगा. साथ ही बिहार सीड एंड फार्म सोसायटी के गठन किया जाएगा. वहीं दलहन एवं तिलहन पर अनुसंधान करने वाली कृषि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय तथा कृषि से संबंधित अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाएगी.
चौथे कृषि रोड मैप में बागवानी फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने पर सरकार ध्यान देगी. गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री के उत्पादन के लिए नई नर्सरी नीति तैयार होगी. वहीं मशरूम, मखाना, मधु उत्पादों के प्रसंस्करण एवं विपणन हेतु मिशन मोड में कार्यक्रम आयोजित होंगे. वहीं कृषि उपज की बिक्री के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग को बढ़ावा दिया जाना है. साथ ही रियल टाइम बेसिस पर सुविधा,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक तथा ड्रोन और सेंसर तकनीक का प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य कृषि उत्थान समिति का गठन किया जाएगा.
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चौथे कृषि रोड मैप में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना होगी. इसके साथ ही गांव स्तर पर कृषि यंत्रों की मरम्मति हेतु कुशल व्यक्तियों को यंत्र मरम्मति के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. वहीं भूमि जल संरक्षण के कार्यों को प्रदर्शित करने तथा कर्मियों को प्रशिक्षित करने हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना भी की जाएगी.
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