केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त 2023-24 के लिए बुधवार को सदन में बजट पेश किया. बजट में सीतारमण ने कृषि के क्षेत्र में बड़े-बड़े ऐलान किए. इस बजट में किसानों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत करने की भी घोषणा की गई. इस बजट के बाद भारतीय किसान संघ ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उस प्रक्रिया में किसान संघ का मानना है कि सरकार ने इस बजट में खेती और किसानों के हित में कई दुरगामी और अच्छे परिणाम देने वाले कदम उठाए हैं. फिर भी इस बजट से किसानों की अधिक उम्मीद थी. हाल ही में आए कोविड महामारी के दौर में किसानों ने कोई मुनाफा न कमाते हुए भी देश की और जनता सेवा की है. उसके बाद भी किसान सभी इनपुट्स में अपने आय के लिए परेशानियां झेलनी पड़ी है. उसी परेशानियों का निदान की उम्मीद किसानों को इस बजट से लगाई थी. जो किसानों को नहीं मिली. जैसे, किसान सम्मान निधि में वृद्धि और इनपुट की जी.एस.टी में कमी.
किसानों के हित में वित्त मंत्री ने जिन योजनाओं की घोषणा की है. उन योजनाओं का भारतीय किसान संघ ने स्वागत किया है. किसानों के हित में यह योजना चलाई गई है. जिसमें. भारतीय प्राकृतिक खेती, श्री अन्य योजना, कृषि ऋण के बारे में मछली पालन, बागवानी और गोवर्धन जैसे बहुत से और दूरगामी परिणाम देने वाली योजनाएं चलाई गई है. वहीं सहकारी समितियां, प्राथमिक मत्स्य समितियां और डेयरी सहकारिता समितियों के बारे में निवेश की योजना बनाई गई है. इसमें छोटे और भूमिहीन किसान की सहायता में लाभ होगा.
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इस बजट में किसान डिजिटल पब्लिक इन्फास्ट्रक्चर की व्यवस्था की गई है. यह भारतीय किसान संघ की लंबे समय से मांग की पूर्ति हुई है. विशेषकर सारे इनपुट्स के मूल्य और उपलब्धता के बारे में जानकारी मिलने से किसानों के शोषण की प्रक्रिया बंद हो जाएगी. वहीं कृषि उपज के सहकारी समिति के माध्यम से छोटे-छोटे स्थान पर भंडारण के विकेंद्रीकरण की व्यवस्था के बारे में सरकार ने इस बजट में बताया है. अगर उसे तुरंत लागू कर दिया जाए तो अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा.
भारतीय किसान संघ के महामंत्री, मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा, “भारतीय किसान संघ इस बजट के बाद भी सरकार से उम्मीद करता है कि सरकार बजट के चर्चा में किसान सम्मान निधि और कृषि इनपुट में जी.एस.टी को शून्य करने जैसे विषयों पर पुन: विचार करके कोई बेहतर निर्णय लेगी. उसके साथ ही सिंचाई के बारे में उपर भद्रा योजना के लिए 5300 करोड़ की व्यवस्था जैसा अच्छा कदम और राजस्थान जैसे सूखे क्षेत्र के लिए बजट में अधिक व्यवस्था के बारे में भी सोचना चाहिए.
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