पीली क्रांति में कश्मीर ने रचा इतिहास, पैदा की 1.31 लाख मीट्रिक टन सरसों, एलजी ने भी Tweet कर दी बधाई 

पीली क्रांति में कश्मीर ने रचा इतिहास, पैदा की 1.31 लाख मीट्रिक टन सरसों, एलजी ने भी Tweet कर दी बधाई 

आज कश्मीर की चर्चा सिर्फ केसर के लिए ही नहीं हो रही है. सरसों की खेती और उसके बंपर उत्पादन के चलते भी कश्मीर चर्चाओं में है. आवाम की आवाज कार्यक्रम में एलजी भी इस कामयाबी को लेकर कृषि विभाग की पीठ थपथपा चुके हैं. 

Advertisement
पीली क्रांति में कश्मीर ने रचा इतिहास, पैदा की 1.31 लाख मीट्रिक टन सरसों, एलजी ने भी Tweet कर दी बधाई कश्मीर में सरसों के खेत. फोटो क्रेडिट- कृष‍ि विभाग

सरसों के तेल की कीमतों और किसानों की इनकम डबल करने के मकसद को ध्यान में रखते हुए कश्मीर में पीली क्रांति का बिगुल फूंका गया था. साल 2021-22 में एक-एक किसान तक पीली क्रांति का मैसेज देने के लिए एग्रीकल्चर डायरेक्टर ने व्हाट्सएप मैसेज के साथ ही पंचायत स्तर पर लोगों की मदद ली थी. सभी किसानों से सरसों की खेती करने की बात कही गई थी. जिसका नतीजा यह हुआ कि बीते साल के मुकाबले 39 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर सरसों की बुवाई हुई. 

पीली छटा बिखरते खेतों ने कश्मीर का नजारा भी बदल दिया. पर्यटकों को कश्मी र में सेल्फी  लेने का एक और पाइंट मिल गया. सरसों के खेतों में पर्यटक भी खूब पहुंच रहे हैं. कश्मीर में आए इस नए बदलाव के बारे में एलजी मनोज सिन्हा  ने भी ट्विट किया है. इसी बदलाव के बारे में और ज्यादा जानने के लिए किसान तक ने जम्मू-कश्मीर के एग्रीकल्चर डायरेक्टर से बात की है.

 ये भी पढ़ें- जरूरत पड़ने पर बोझा भी ढोते हैं इस खास नस्ल के बकरा-बकरी

1.01 लाख से 1.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा उत्पादन

जम्मू -कश्मीर के एग्रीकल्चर डायरेक्टर मोहम्म्द चौधरी इकबाल ने किसान तक को बताया बीते साल तक कश्मीार में 1.01 लाख हेक्टे यर जमीन पर सरसों की खेती होती थी. लेकिन जब हमने किसानों की इनकम डबल करने और सरसों के तेल का आयात घटाने के लिए काम शुरू किया तो सरसों की बुवाई का एरिया 1.40 लाख हेक्टे यर जमीन पर पहुंच गया. हमारे इस अभियान में किसानों ने हमारी उम्मीद से बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. सरसों के बीज भी किसानों के बीच में बांटे गए. केन्द्र सरकार ने डिमांड करने पर हमे बीज भी दिए. 

सरसों के खेत में कृष‍ि विभाग की टीम. फोटो क्रेडिट- कृष‍ि विभाग
सरसों के खेत में कृष‍ि विभाग की टीम. फोटो क्रेडिट- कृष‍ि विभाग

यहां की मिट्टी बहुत अच्छी है इसलिए सरसों में तेल की मात्रा भी अच्छी  निकल रही है. आज कश्मी र घाटी में जिधर देखो उधर पीली सरसों नजर आती है. पहले यहां एक लम्बे वक्त तक जमीन खाली रहती थी. 30 हजार हेक्टेयर से शुरू हुआ नेशनल ऑयल सीड मिशन आज 1.40 लाख हेक्टेयर जमीन पर पहुंच गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि खेती में आए इस बदलाव ने पर्यटकों को बहुत आकर्षित किया है. सड़क किनारे गाड़ियां रोककर पर्यटक सेल्फीं लेते हुए देखे जा सकते हैं. 

ये भी पढ़ें- गर्मियों में बकरी के बच्चों को ऐसे बचाएं निमोनिया से, जानें पूरी डिटेल

जानें क्या कहता है कश्मीर में सरसों उत्पाादन का आंकड़ा 

मोहम्मद चौधरी इकबाल ने बताया कि साल 2022-23 में 1.40 लाख हेक्टेयर जमीन पर 1.31 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन हुआ है. वहीं एक किलो सरसों में 300 ग्राम तेल निकला है. जिसके चलते 39 हजार मीट्रिक टन तेल निकला है. जिसकी कीमत 785.52 करोड़ रुपये हैं. इसके साथ ही एक किलो सरसों में 700 ग्राम ऑयल केक भी निकला है. कुल 92 हजार मीट्रिक टन ऑयल केक निकला है. 60 रुपये किलो से इस ऑयल केक की कीमत 275 करोड़ की है. इस तरह से कुल 1060 करोड़ रुपये की इनकम सरसों से हुई है. 

ये भी पढ़ें- 

Meat Market: एक साल में कट जाते हैं 20 करोड़ पशु, 300 करोड़ मुर्गे, इस मामले में 8वें नंबर पर है भारत

दूध और उससे बने प्रोडक्ट के इंपोर्ट पर अब यह बोले डेयरी सचिव, किसानों को दी राहत  

POST A COMMENT