Farming Tips: मक्का में फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप, फसल बचाने के लिए करें ये पक्के उपाय Farming Tips: मक्का में फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप, फसल बचाने के लिए करें ये पक्के उपाय
फॉल आर्मीवर्म एक विनाशकारी कीट है जिसका प्रकोप तेजी से फैलता है. अगर समय रहते इसे न रोका जाए तो भारी नुकसान हो सकता है. इसका लार्वा हरे, जैतूनी, हल्के गुलाबी या भूरे रंग का हो सकता है. इसके पीठ पर तीन पतली पीली रेखाएं होती हैं जो इसकी खास पहचान हैं. साथ ही इसके सिर 'Y' के आकार का सफेद निशान साफ नजर आता है.
Maize Fall armyworm: कैसे बचाएं मक्का की फसल किसान तक - New Delhi,
- Jul 17, 2025,
- Updated Jul 17, 2025, 6:50 AM IST
जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले के किसानों की मक्का की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का भीषण प्रकोप सामने आया है. यहां के मानसर पंचायत में मक्के की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है और किसानों को भारी नुकसान हुआ है. फॉल आर्मीवर्म जिसका साइंटिफिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्रुजीपरडा है, मुख्य तौर पर मक्का खाता है, लेकिन गेहूं, ज्वार, बाजरा, गन्ना और कई सब्जियों और कपास सहित 80 से ज्यादा फसलों को बर्बाद कर सकता है. अपनी विनाशकारी प्रकृति के कारण, यह कीट खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है.
कैसे पहचानें फॉल आर्मीवर्म को?
फॉल आर्मीवर्म एक विनाशकारी कीट है जिसका प्रकोप तेजी से फैलता है. अगर समय रहते इसे न रोका जाए तो भारी नुकसान हो सकता है. इसका लार्वा हरे, जैतूनी, हल्के गुलाबी या भूरे रंग का हो सकता है. इसके पीठ पर तीन पतली पीली रेखाएं होती हैं जो इसकी खास पहचान हैं. साथ ही इसके सिर 'Y' के आकार का सफेद निशान साफ नजर आता है. प्यूपा यानी कोषावस्था गहरे भूरे से काले रंग की होती है. नर पतंगे के पंखों पर सफेद निशान होते हैं, जबकि मादा के पंखों पर यह नहीं होते.
फसल में हमले के लक्षण
- लार्वा सबसे पहले पत्तियों को छीलकर खाता है, जिससे उन पर सफेद धारियां नजर आती हैं.
- बढ़ते हुए लार्वा ऊपरी पत्तियों को चट कर जाते हैं और अंत में भुट्टे के अंदर जाकर दानों को नुकसान पहुंचाते हैं.
- पत्तियों पर गोल छेद बन जाते हैं और कीट के मल के काले धब्बे साफ नजर आते हैं.
कैसे करें इस कीट पर काबू?
- खेत को साफ रखें ताकि कीटों को छिपने की जगह न मिले.
- उर्वरक का संतुलित प्रयोग करें खासकर यूरिया का बहुत ज्यादा प्रयोग न करें.
- यूरिया पौधों को कोमल बना देता है जिससे कीट जल्दी हमला करते हैं.
- शुरुआती लार्वा अवस्था में इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत SG की 80 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़कें.
- संक्रमण ज्यादा हो तो क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 9.3 प्रतिशत + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.6% ZC की 14 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करें.
- कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करें. दोपहर में स्प्रे करने से दवा का असर कम होता है.
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