उपजों की सरकारी खरीद के लिए दो एजेंसियों का बड़ा नाम है. नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी कि NAFED और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी कि NCCF. ये दोनों एजेंसियां किसानों से उनकी उपज खरीदती हैं. इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलती है. लेकिन अभी एक निगेटिव खबर के लिए दोनों एजेंसियां सुर्खियों में हैं. खबर है कि हाल के दिनों में नेफेड ने अपने कई सेंटर बंद कर दिए हैं. वजह बताई जा रही है कि इन एजेंसियों के सामने कई चुनौतियां हैं जिसके चलते उन्हें अपना सेंटर बंद करना पड़ा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्याज की आवक में हुई कमी से नेफेड को अपने 155 सेंटर बंद करने पड़े हैं.
Free Press Journal की एक रिपोर्ट कहती है कि सेंटर बंद होने के पीछे बड़ा कारण प्राइवेट एजेंसियों की मोनोपोली और प्याज की खरीद कीमत है जो कि मार्केट रेट से 500 रुपये कम है. इस साल ऐसा पहली बार हुआ है कि किसान सरकारी एजेंसियों में अपनी उपज बेचने से मुंह मोड़ रहे हैं और वे अन्य एजेंसियों या व्यापारियों को उपज बेच रहे हैं. किसानों की शिकायत है कि सरकार अब खरीद का रेट साप्ताहिक जारी करती है जबकि पहले हर दिन होता था. इससे भी किसानों की परेशानी बढ़ी है. किसान रेट के लिए एक हफ्ता इंतजार करने के बजाय दूसरी एजेंसियों को अपना माल बेच रहे हैं.
ये भी पढ़ें: Onion Price: महाराष्ट्र में प्याज के दाम ने बनाया रिकॉर्ड, 4000 रुपये क्विंटल के पार हुआ भाव
रिपोर्ट कहती है कि नेफेड के बंद हुए सेंटरों में अधिकांश महाराष्ट्र के नासिक जिले में हैं. सेंटरों के बंद होने से सरकार ने जहां प्याज की खरीद 50,000 टन निर्धारित की थी, उसमें 25,000-30,000 टन ही खरीद हो पाई है. अब सवाल है कि ये प्राइवेट एजेंसियां कौन हैं और कहां से चलती हैं? इसका जवाब है कि इन एजेंसियों को नेफेड और एनसीसीएफ ही चलाती या खरीद की अनुमति देती हैं. इसलिए किसानों में इस बात का भी गुस्सा है कि नेफेड या एनसीसीएफ खुद खरीद न कर प्राइवेट एजेंसियों से यह काम करा रही हैं. इससे किसान नाराज होकर इन एजेंसियों में अपनी उपज नहीं बेचते और खुले बाजार की एजेंसियों या व्यापारियों को बेच देते हैं.
ऐसे में जब किसान नेफेड या एनसीसीएफ में जब माल बेचने नहीं ले जाएंगे तो उनके सेंटरों पर ताला लगना लाजिमी है. सेंटर बंद होने का खामियाजा ये हो रहा है कि सरकार ने प्याज खरीद का जो लक्ष्य तय किया है, वह पूरा नहीं हो पा रहा है. प्याज के अलावा अन्य कई अनाजों की खरीद में भी ऐसी ही शिकायत देखी जा रही है. पिछले साल सरकार खरीद का रेट हर दिन जारी करती थी, लेकिन अब यह घोषणा साप्ताहिक हो रही है जिससे किसान अपनी उपज को सरकारी एजेंसियों को न बेचकर निजी व्यापारियों को बेचना मुनासिब समझ रहे हैं.
इस सप्ताह NAFED का प्याज का खरीद भाव 2105 प्रति क्विंटल रहा, जबकि निजी व्यापारियों ने 2650 से 2700 रुपये के बीच दिया जिससे कीमतों में भारी अंतर देखा गया. यही वजह है कि किसान सरकारी खरीद केंद्रों से दूर रहे. किसान संगठनों ने निजी एजेंसियों को दी गई अनुमति के लिए सरकार की आलोचना की है, जिससे किसानों की स्थिति और खराब हो रही है. किसानों का कहना है कि जब तक सरकारी एजेंसियां खुद खरीद नहीं करेंगी और हर दिन उपज का भाव नहीं दिया जाएगा, तब तक उनकी कमाई सुनिश्चित नहीं हो सकती.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today