करनाल अनाज मंडी में आज से गेहूं की खरीद शुरू है. गेहूं की खरीद को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं, मंडी की सफाई कर दी गई है. पानी और खाद्य आपूर्ति भी कर दी गई है. हैफेड खरीद एजेंसी के तौर पर मंडी में खरीद करेगी. गोदामों के जरिए भी गेहूं की खरीद होती है. ऐसे में प्रशासन ने किसानों को गेहूं की फसल को सुखाकर लाने की बात कही है. साथ ही समर्थन मूल्य 2425 रुपए तय किया गया है. मंडी में गेहूं की फसल आने में अभी थोड़ा समय लगेगा. गेहूं की फसल तब मंडी में आएगी, जब पककर तैयार हो जाएगी. मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर रजिस्टर्ड किसानों को गेट पास मिलेगा. यूपी के किसान अपनी फसल करनाल मंडी में नहीं ला सकते.
करनाल अनाज मंडी के सुपरवाइजर सतबीर सिंह ने बताया कि कल से गेहूं की खरीद शुरू होनी है, जिसके लिए मंडी प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मंडी में अपनी फसल लेकर आने वाले किसी भी किसान को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि जो भी किसान अपनी गेहूं की फसल मंडी में लेकर आएगा, उसका एक-एक दाना मंडी प्रशासन की ओर से बेचा जाएगा. उन्होंने कहा कि किसान कल से अपनी फसल लेकर मंडी में आ सकते हैं, हमारी तरफ से सभी तैयारियां पूरी हैं. जैसे ही किसान अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंचेंगे, उनकी फसल खरीदने के लिए एजेंसियों को बुला लिया जाएगा. मंडी में खरीद एजेंसी के तौर पर हैफेड खरीद करेगी. वहीं किसानों को कहा गया है कि किसान अपनी गेहूं की फसल को सुखाकर लाएं. समर्थन मूल्य 2425 रुपये तय किया गया है.
सरकार के निर्देशानुसार, हरियाणा के करनाल में 1 अप्रैल से गेहूं खरीद का काम शुरू होने वाला है, लेकिन अभी तक कई जरूरी व्यवस्थाएं अधूरी हैं, जिससे किसानों और आढ़तियों (कमीशन एजेंट) के बीच चिंता बढ़ गई है. ट्रांसपोर्टर और लेबर कॉन्ट्रैक्टर अभी तक तय नहीं हो पाए हैं, और बोरियों की डिलीवरी भी लंबित है. इन समस्याओं से अनाज मंडियों में रसद से जुड़ी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं.
सूत्रों के अनुसार, ट्रांसपोर्ट और लेबर कॉन्ट्रैक्टर के लिए तकनीकी बोलियां खोली जा चुकी हैं, लेकिन कीमत बोलियां अभी नहीं खोली गई हैं. इन कॉन्ट्रैक्टर को फाइनल करने की प्रक्रिया में कुछ दिन लग सकते हैं, जिसके बाद बोरियों का वितरण शुरू हो पाएगा. हालांकि, आढ़तियों और किसानों का कहना है कि ये व्यवस्थाएं बहुत पहले पूरी हो जानी चाहिए थीं.
करनाल आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष, रजनीश चौधरी ने इस देरी पर निराशा व्यक्त की. उन्होंने 'द ट्रिब्यून' को कहा, "जिले की किसी भी अनाज मंडी में एक भी बोरी नहीं पहुंचाई गई है. परिवहन और श्रम ठेकेदारों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. अगर सरकार ने खरीद की तारीख 1 अप्रैल तय की थी, तो ये कदम पहले ही पूरे कर लिए जाने चाहिए थे. अधिकारी आखिरी क्षण तक क्यों इंतजार कर रहे थे?"
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आढ़तियों और किसानों का कहना है कि प्रमुख उपायों में देरी के कारण खरीद का काम बाधित हो सकता है. उनको डर है कि किसी भी प्रकार की देरी से अनाज मंडियों में खरीद में देरी जैसी स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे किसानों को अपनी उपज के लिए समय पर भुगतान प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है.
हालांकि, अधिकारियों ने स्थिति से निपटने का आश्वासन दिया है. जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) अनिल कुमार ने कहा, "हम खरीद के लिए पूरी तरह तैयार हैं. हमारे पास पर्याप्त बोरियां हैं, जिन्हें समय पर कमीशन एजेंटों तक पहुंचाया जाएगा. अगले कुछ दिनों में मजदूरों और परिवहन ठेकेदारों को अंतिम रूप देने के लिए मूल्य बोलियां पूरी हो जाएंगी."
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उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन ने इस सीजन में 8.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि तापमान में हाल ही में आई गिरावट के कारण गेहूं की आवक में एक सप्ताह की देरी हो सकती है, जिससे खरीद एजेंसियों और जिला प्रशासन को राहत मिलेगी और वे लंबित औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय प्राप्त करेंगे.
आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक, डॉ. रतन तिवारी ने भी कहा कि तापमान में अचानक गिरावट के कारण गेहूं की कटाई में लगभग एक सप्ताह की देरी हो सकती है. उन्होंने बताया, "तापमान में वृद्धि के बाद, गेहूं की कटाई जोरों पर होगी." किसान भी कटाई के लिए अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार कर रहे हैं ताकि अनाज पूरी तरह से पक सके और अच्छा उत्पादन हो सके.
इस साल की गेहूं खरीद में कुछ व्यवस्थाओं में देरी हो रही है, लेकिन अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा. किसानों और आढ़तियों को उम्मीद है कि इन समस्याओं को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा, ताकि 1 अप्रैल से गेहूं खरीद का काम सुचारू रूप से चल सके.
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