अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया पिछले 3 महीने से अधिक समय में खाद्य तेलों के दामों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान 30 से लेकर 40 प्रतिशत तक दाम बढ़ चुके हैं और अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. लगातार आ रही तेजी की खबरों ने सामान्य लोगों का तेल कहे जाने वाले पाम तेल को खाने के तेलों में सबसे ऊंची पायदान पर लाकर रख दिया है. तीन महीने पहले 920 रुपए प्रति 10 किलो बिकने वाले पाम तेल के दाम 1360 रुपए प्रति 10 किलो तक पहुंचा दिए हैं.
इस साल सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक देश इंडोनेशिया में उत्पादन में भारी गिरावट हुई. इसके दूसरे सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश मलेशिया में पाम तेल का उपयोग जैव ईंधन बनाने बढ़ा दिया गया है. पहले यहां उत्पादन के 35 प्रतिशत से जैव ईंधन बनाया जा रहा था, जिसे 1 जनवरी से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का ऐलान किया जा चुका है. वहीं इस बड़े घटनाक्रम के तुरंत बाद थाईलैंड ने घरेलू आपूर्ति और दामों को काबू में रखने के लिए कच्चे पाम तेल के निर्यात पर बैन लगा दिया, जिसकी वजह से पाम तेल के दाम हद से ज्यादा महंगे हो गए.
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पाम तेल महंगा होने के कारण लोगों ने सूरजमुखी तेल का ज्यादा इस्तेमाल करना शुरु किया तो सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश से कम उत्पादन की खबर सामने आई. वहीं इस बीच रूस ने भी सूरजमुखी तेल के निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी. इस सबके अलावा इंडोनेशिया मलेशिया और थाईलैंड जैसे पाम तेल के सर्वाधिक उत्पादन करने वाले प्रायद्वीपीय देशों में बाढ़ आने से सप्लाई से जुड़ी चिंताएं उभरी हैं.
डर है कि बाढ़ एक दशक में सबसे भयानक हो सकती है. इससे पाम तेल उत्पादन पर असर पड़ सकता है. दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल निर्यातक इंडोनेशिया द्वारा लगाए गए हाई एक्सपोर्ट टैक्स और लेवी से भी कीमतों को समर्थन मिल रहा है. इंडोनेशिया ने दिसंबर के लिए अपने कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के संदर्भ मूल्य को नवंबर के 961.97 डॉलर से बढ़ाकर 1,071.67 डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर दिया है, जिससे निर्यात कर नवंबर के 124 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 178 डॉलर प्रति टन हो गया है.
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