रेवाड़ी में ढाई सौ एकड़ कड़वी जलकर खाक, किसान को 10 लाख का नुकसान, आग लगने के कारण पर सस्पेंस

रेवाड़ी में ढाई सौ एकड़ कड़वी जलकर खाक, किसान को 10 लाख का नुकसान, आग लगने के कारण पर सस्पेंस

बावल के गांव नांगल ऊगरा के पास खेत में लगी भीषण आग, 6 दमकल गाड़ियों ने 5 घंटे में पाया काबू, तीन गाड़ियां अब भी तैनात, किसान की मेहनत राख में तब्दील.

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रेवाड़ी में ढाई सौ एकड़ कड़वी जलकर खाक, किसान को 10 लाख का नुकसानरेवाड़ी में खेत में कड़वी में लगी आग

हरियाणा के रेवाड़ी जिले में बावल के गांव नांगल ऊगरा के पास एक खेत में ढाई सौ एकड़ में इकट्ठी सूखी कड़वी (पशु चारा) में अचानक लगी आग ने एक किसान की महीनों की मेहनत को राख कर दिया. इस भीषण अग्निकांड में किसान को लगभग 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. 

आग की लपटें इतनी तेज थीं कि चारों ओर धुएं का गुबार फैल गया और पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई. यह कड़वी गांव शाहपुर निवासी किसान खुशीराम ने जुटाई थी.

दमकल विभाग की 6 गाड़ियों ने पाया काबू:

घटना की सूचना मिलते ही 112 इमरजेंसी सेवा के जरिए दमकल विभाग को अलर्ट किया गया. रेवाड़ी और बावल से करीब 5 से 6 दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं. करीब 5 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

दमकल विभाग के अधिकारी ने कहा कि आग की गंभीरता को देखते हुए रेवाड़ी से अधिक गाड़ी मंगाई गई और आग पर काबू पाया गया. समय रहते कार्रवाई होने से किसान की पूरी कड़वी नहीं जली है बल्कि उसका कुछ हिस्सा बचा भी लिया गया. हालांकि नुकसान बहुत अधिक है.

ग्रामीणों ने निभाई बड़ी भूमिका:

आग बुझाने में गांव नांगल ऊगरा, शाहपुर और नांगल तेजू के ग्रामीणों ने भी ट्रैक्टरों से पानी डालकर बड़ा योगदान दिया. कई लोगों ने कहा कि अगर समय पर प्रयास न होता, तो आग और भी बड़े क्षेत्र में फैल सकती थी.

आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं:

फिलहाल आग लगने के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है. कुछ लोगों ने पटाखों से आग लगने की आशंका जताई है, जबकि कुछ का मानना है कि यह घटना जानबूझकर कराई गई हो सकती है. पुलिस और दमकल विभाग हर पहलू से जांच कर रहे हैं.

घटना की जानकारी मिलते ही गांव के कई लोग खेत में जुट गए और आग बुझाने में लग गए. प्रशासन ने भी दमकल का इंतजाम किया. पुलिस की गाड़ी भी घटनास्थल पर पहुंच गई. चारा को हटाने के लिए मशीनों का बंदोबस्त किया गया ताकि आग फैलने से रोका जा सके. आग बुझाने के लिए टैंकर के पानी का उपयोग किया गया. काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

किसान का दर्द: "सब कुछ राख हो गया"

किसान के बेटे ने बताया कि इस कड़वी को इकट्ठा करने में लगभग 4 लाख रुपये का खर्च आया था और पूरी कड़वी की कीमत 10 लाख रुपये से ऊपर थी. “अब सब कुछ राख हो गया,” उसने भावुक होकर कहा.

ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है ताकि किसान को राहत मिल सके. ग्रामीणों ने मांग की है कि गरीब किसान को उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि उसकी मेहनत और आजीविका को पहुंचे नुकसान की कुछ भरपाई हो सके.

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