तेलंगाना में 22 अक्टूबर से कपास खरीद सीजन की शुरुआत हो चुकी है और किसानों को इस बार बेहतर कीमत और उपज की उम्मीद है. हालांकि, कुछ महीने पहले कच्चे कपास के आयात पर शुल्क हटाए जाने के फैसले ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
लगातार छह सप्ताह की बारिश से कुछ इलाकों में नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन किसान अभी भी प्रति एकड़ आठ क्विंटल तक की उपज की उम्मीद कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने 19 अगस्त से 31 दिसंबर 2025 तक कच्चे कपास के आयात पर सभी सीमा शुल्क हटा दिए हैं. इस फैसले का मकसद कपड़ा उद्योग को समर्थन देना और घरेलू कीमतों को स्थिर करना है. मगर किसानों का मानना है कि इससे घरेलू बाजार में कपास की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है.
अखिल भारतीय किसान सभा के नेता एस मल्ला रेड्डी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, “हम इस बार अच्छे दामों की उम्मीद कर रहे हैं. उपज भी ठीक रहने वाली है.” उन्होंने कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) से अनुरोध किया कि वह नमी स्तर की शर्तों में कुछ ढील दे.
वर्तमान में CCI 8 फीसद नमी स्तर वाले कपास को पूर्ण न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदता है. 12 परसेंट तक नमी वाले कपास की भी खरीद होती है, लेकिन कीमत में कटौती की जाती है. 12 परसेंट से ज्यादा नमी पर CCI कपास खरीदने से इनकार कर देता है.
तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे जिनिंग सेंटर्स को अधिसूचित करें और खरीद प्रक्रिया की तैयारी करें.
केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने किसानों को हाई डेंसिटी प्लांटेशन को अपनाने की सलाह दी है, जिससे उपज में सुधार हो सके. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के अकोला क्षेत्र के किसान इस तकनीक से काफी लाभान्वित हो रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में CCI ने 1.37 लाख करोड़ रुपये की कपास खरीद की है, जिसमें से लगभग आधी राशि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों को मिली.
प्रो. जयशंकर तेलंगाना कृषि विश्वविद्यालय के एग्रीकल्चरल मार्केट इंटेलिजेंस सेंटर ने कहा है कि कपास आयात शुल्क माफी से कपड़ा मिलों को राहत मिलेगी, लेकिन घरेलू कीमतें गिर सकती हैं, जिससे किसानों पर दबाव बढ़ सकता है. ऐसे में CCI की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.
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