Cashew Export: 15 साल में 50 फीसद घटा भारत का काजू निर्यात, जानिए क्यों गिरावट में है कारोबार

Cashew Export: 15 साल में 50 फीसद घटा भारत का काजू निर्यात, जानिए क्यों गिरावट में है कारोबार

Cashew Exports: पिछले 15 वर्षों में भारत का काजू निर्यात 50 फीसद से अधिक घट गया है. जानिए गिरावट की वजहें जैसे उच्च लागत, आयात पर निर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा.

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15 साल में 50 फीसद घटा भारत का काजू निर्यात, जानिए क्यों गिरावट में है कारोबारकाजू निर्यात में कमी (Cashew Export)

Cashew Exports: भारत में काजू का निर्यात पिछले 15 सालों में 50 प्रतिशत से ज्यादा घट गया है. साल 2011-12 में जब भारत ने 1.31 लाख टन काजू निर्यात किया था, तब यह रिकॉर्ड स्तर था. लेकिन अब हालात काफी बदल चुके हैं. वर्ष 2022-23 में भारत ने सिर्फ 59,581 टन काजू निर्यात किया, जो कि पिछले 20 सालों में सबसे कम है.

रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा निर्यात

बेटा ग्रुप (NutKing ब्रांड के मालिक) के चेयरमैन जे. राजमोहन पिल्लै ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का काजू निर्यात सिर्फ 339.21 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले 7 सालों का सबसे कम आंकड़ा है. वहीं, नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स काउंसिल ऑफ इंडिया की अध्यक्ष गुंजन जैन के अनुसार अब काजू निर्यात सिर्फ 45,000 टन रह गया है.

क्या है गिरावट की वजह

  • वैश्विक कॉम्पिटिशन: वियतनाम जैसे देशों ने उन्नत तकनीक अपनाकर सस्ता और बेहतर काजू बाजार में उतारा है.
  • उच्च लागत: भारत में प्रोसेसिंग की लागत ज्यादा है क्योंकि मशीनीकरण (Automation) की कमी है.
  • आयात पर निर्भरता: भारत कच्चे काजू का बड़ा हिस्सा अफ्रीकी देशों से आयात करता है, जहां से आपूर्ति बाधित हो रही है.
  • मौसमीय असर: एल नीनो जैसी जलवायु घटनाएं भी आपूर्ति चेन को प्रभावित कर रही हैं.

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भारत बनाम वियतनाम

वियतनाम अब दुनिया का सबसे बड़ा काजू निर्यातक बन चुका है. 2023 में वियतनाम ने 6.44 लाख टन काजू का निर्यात किया जिसकी कीमत 3.6 अरब डॉलर रही. इसके मुकाबले भारत काफी पीछे रह गया है.

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घरेलू मांग और उत्पादन

भारत में काजू की घरेलू खपत 3.5 लाख टन से ज्यादा है. देश में लगभग 7 से 7.5 लाख टन कच्चे काजू का उत्पादन होता है, जबकि 11-13 लाख टन कच्चे काजू का आयात किया जाता है. इस तरह कुल 20 लाख टन कच्चे काजू की प्रोसेसिंग से केवल 4-4.2 लाख टन तैयार काजू निकलता है.

भविष्य की राह

भारत को अगर फिर से काजू निर्यात में अपनी पकड़ मजबूत करनी है, तो तकनीकी उन्नयन, लागत में कमी और घरेलू संसाधनों के बेहतर उपयोग पर ध्यान देना होगा. नहीं तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा और भी कठिन होती जाएगी.

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