सरकार ने दालों का उत्पादन घटने के अनुमान के चलते कई दालों के आयात को शुल्क मुक्त कर इंपोर्ट को बढ़ावा दिया. आयात की जाने वाली इन दालों में पीली मटर भी शामिल है, जो अब भारत के दाल व्यापार जगत के लिए परेशानी का सबब बन रही है. कीमत में सस्ती होने के कारण इससे अन्य दालों का व्यापार प्रभावित हो रहा है और किसानों पर भी इसका असर पड़ रहा है. दलहन क्षेत्र के शीर्ष व्यापार निकाय इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने सरकार से तत्काल प्रभाव से पीली मटर का आयात रोकने की मांग की है.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोठारी ने कहा कि हम साल 2024 में लगभग 30 लाख टन पीली मटर का आयात कर चुके हैं. अब इसके आयात से अन्य दालों के व्यापार के साथ किसानों को भी नुकसान हो रहा है. कोठारी ने कहा कि सस्ती पीली मटर बाजार में चने समेत अन्य दालों की मांग पर असर डाल रही है. पीली मटर का भाव 32 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि इससे बनी दाल का भाव 40 रुपये प्रति किलोग्राम है. वहीं, अन्य दालों की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर चल रही हैं. ऐसे में इससे अन्य दालों के व्यापार पर इसका असर समझा जा सकता है.
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सरकार ने घरेलू मांग की आपूर्ति के लिए दालों के आयात को बढ़ावा देने और कीमतों को स्थिर बनाए रखने के उद्येश्य दिसंबर 2023 में पीली मटर के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था. पिछले साल कुछ बार पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की मियादा को बढ़ाकर 28 फरवरी 2025 कर दिया गया है, जबकि अब तक करीब 29.68 लाख टन पीली मटर का आयात होने का अनुमान है. कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान कुल दालों का आयात दोगुना होकर 66 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है.
वहीं, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चालू रबी सीजन में नई चना फसल की आवक शुरू हो गई है, जिससे चलते इनकी कीमतें घटकर एमएसपी लेवल के करीब पहुंच रही हैं. कोठारी ने कहा कि किसानों को दाल की फसल का सही दाम मिलना चाहिए. सरकार को तुरंत पीली मटर के आयात पर रोक लगाने की जरूरत है. वास्तव में, यह दालों का आयात आयात नहीं हो रहा है, बल्कि दालों की डंपिंग की जा रही है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है.
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