इन दिनों मध्य प्रदेश में लहसुन ने किसानों को रुलाकर रखा हुआ है, क्याेंकि थोक मंडियों में दाम बहुत ही नीचे चले गए हैं. किसानों ने महंगे भाव के बीज लेकर फसल बोई थी, जिससे खेती की लागत बढ़ गई. लेकिन, अब कीमतें औंधे मुंह गिर गई हैं. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, कई अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश के मुकाबले काफी बेहतर दाम मिल रहे हैं. एमपी में कहीं-कहीं मंडियों में न्यूनतम कीमतें 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं. वहीं कुछ मंडियों में अधिकतम कीमतें 5200 रुपये से 8725 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही है. हालांकि, मंदसौर की पिपलिया मंंडी में कीमत 43 हजार रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गई, जोकि आश्चर्यजनक है. वहीं, केरल में लहसुन का अच्छा भाव मिल रहा है, जहां एक मंडी में कीमतें 12 हजार से 14 हजार के बीच मिल रही है. जानिए एमएपी समेत अन्य राज्यों में लहसुन क्या भाव चल रहा है…
मंडी | वैरायटी | न्यूनतम कीमत (रु./क्विंटल) | अधिकतम कीमत (रु./क्विंटल) | औसत कीमत (रु./क्विंटल) |
शाजापुर | NA | 4977 | 6790 | 6790 |
पिपलिया, मंदसौर | NA | 4000 | 43000 | 43000 |
गौतमपुरा, इंदौर | NA | 1200 | 5550 | 5550 |
इंदौर | NA | 1100 | 6300 | 5500 |
मंदसौर | NA | 2900 | 6280 | 6280 |
जावरा, रतलाम | NA | 7200 | 7400 | 7400 |
सैलाना, रतलाम | औसत | 5200 | 5200 | 5200 |
शुजालपुर, शाजापुर | देशी | 2850 | 7351 | 6000 |
दलौदा, मंदसौर | NA | 4211 | 8601 | 6600 |
रतलाम | देशी | 5000 | 8725 | 8725 |
मंडी | वैरायटी | न्यूनतम कीमत (रु./क्विंटल) | अधिकतम कीमत (रु./क्विंटल) | औसत कीमत (रु./क्विंटल) |
नारनौल, हरियाणा | NA | 8000 | 8000 | 8000 |
अंगमाली, केरल | औसत | 12000 | 14000 | 13000 |
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | औसत | 11000 | 12000 | 12000 |
गुलावठी, उत्तर प्रदेश | देशी | 8000 | 8200 | 8100 |
मन्नारगुडी- 2, तमिलनाडु | औसत | 10000 | 12000 | 12000 |
तिरुप्पुर दक्षिण, तमिलनाडु | औसत | 10000 | 12000 | 12000 |
खैर, यूपी | NA | 7000 | 7500 | 7200 |
कैराना, यूपी | NA | 5900 | 6000 | 5950 |
विकास नगर, उत्तराखंड | अन्य | 4000 | 8000 | 8000 |
हरिद्वार यूनियन, उत्तराखंड | औसत | 5500 | 8000 | 6500 |
लहसुन के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में इस बार किसानों ने जमकर लहसुन की बुवाई की, जिससे रकबा लगभग दोगुना हो गया. ऐसे में बाजार में आवक बंपर बनी हुई है. यही वजह है कि एक साथ बड़ी मात्रा में लहसुन की खेप पहुंचने से इसके दाम काफी गिर गए है. वहीं, ज्यादातर किसानों ने पिछले कुछ साल के ट्रेंड को देखते हुए महंगे दाम पर बीज खरीदकर बुवाई की कि उन्हें तगड़ा दाम मिलेगा. लेकिन रकबा डबल होने और बंपर उत्पादन के चलते सब उलट हो गया और अब किसानों को कम कीमत पर उपज बेचनी पड़ रही है. वहीं, कई व्यापारियों और संगठनों ने किसानों से अपील की है कि वे अभी मंडी में फसल बेचने के लिए न पहुंचे. आने वाले समय में जब दाम थोड़ा ऊपर पहुंचेंगे तो ही बेचे, इससे वे नुकसान से बच सकेंगे.
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