मक्के के दाम पर घमासान, पोल्ट्री इंडस्ट्री के फायदे के ल‍िए क‍िसान क्यों करें अपना नुकसान? 

मक्के के दाम पर घमासान, पोल्ट्री इंडस्ट्री के फायदे के ल‍िए क‍िसान क्यों करें अपना नुकसान? 

Maize Price: पोल्ट्री इंडस्ट्री को अगर मक्का महंगा म‍िल रहा है तो इसकी वजह क‍िसान नहीं बल्क‍ि खुद पोल्ट्री इंडस्ट्री के अपने तौर-तरीके हैं. इंडस्ट्री से जुड़े लोग फीड के ल‍िए क‍िसानों के ग्रुप की बजाय व्यापार‍ियों से मक्का खरीदते हैं, ज‍िससे कीमतें बढ़ जाती हैं. पोल्ट्री इंडस्ट्री की मांग क‍िसानों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं. 

Advertisement
मक्के के दाम पर घमासान, पोल्ट्री इंडस्ट्री के फायदे के ल‍िए क‍िसान क्यों करें अपना नुकसान? मक्का का क‍ितना है दाम?

पोल्ट्री इंडस्ट्री ने ऐसा माहौल बना रखा है क‍ि मक्के की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं, ज‍िसकी वजह से उन्हें नुकसान होना शुरू हो गया है. इसके ल‍िए क‍िसान को 'खलनायक' बनाया जा रहा है. लेक‍िन सच तो यह है क‍ि देश के ज्यादातर मक्का उत्पादक क‍िसानों को न्यनूतम समर्थन मूल्य (MSP) ज‍ितना ही भाव म‍िल रहा है. इसकी तस्दीक खुद केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की र‍िपोर्ट कर रही है. पोल्ट्री इंडस्ट्री को अगर मक्का महंगा म‍िल रहा है तो इसकी वजह क‍िसान नहीं बल्क‍ि खुद पोल्ट्री इंडस्ट्री के अपने तौर-तरीके हैं. इंडस्ट्री से जुड़े लोग फीड के ल‍िए क‍िसानों के ग्रुप की बजाय व्यापार‍ियों से मक्का खरीदते हैं, ज‍िससे कीमतें बढ़ जाती हैं. ज्यादातर इंडस्ट्री मक्का उधार पर खरीदती हैं, लेक‍िन क‍िसान तुरंत पैसा चाहता है. ऐसे में मक्के की महंगाई के ल‍िए क‍िसानों को 'खलनायक' बनाना ठीक नहीं.

मक्का की खेती करने वाले क‍िसानों को अक्सर दाम ग‍िरने की समस्या का सामना करना पड़ा है. इसके ल‍िए मक्का सत्याग्रह तक हुआ है. जब 2020 में मक्के का एमएसपी 1850 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था तब बिहार का किसान स‍िर्फ 1100-1200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल पर ही मक्का बेचने को मजबूर था. लेक‍िन, अब मक्के का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने के ल‍िए होने लगा है तो हालात बदल गए हैं. क‍िसानों को आसानी से मक्का का भाव उसकी एमएसपी ज‍ितना म‍िल रहा है. ऐसे में अब पोल्ट्री इंडस्ट्री को द‍िक्कत हो रही है. अब बड़ा सवाल यह है क‍ि क्या क‍िसान पोल्ट्री इंडस्ट्री के फायदे के ल‍िए अपना मक्का घाटे में बेच दे?   

मक्के का क‍ितना है भाव? 

बहरहाल, अब मक्के के मौजूदा दाम पर बात कर लेते हैं. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के मुताब‍िक देश में मक्के का दाम 1 से 31 द‍िसंबर 2024 तक 2232.41 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा है. यह देश के 16 राज्यों मणिपुर, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हर‍ियाणा, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा का औसत दाम है. यह एमएसपी के लगभग बराबर ही है. सरकार ने 2024-25 के ल‍िए मक्के की एमएसपी 2225 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय की हुई है. 

क‍ितना बढ़ा भाव?  

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की र‍िपोर्ट बता रही है क‍ि 1 से 31 द‍िसंबर 2023 के बीच देश में मक्के का दाम 2051.31 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. यानी 2023 के मुकाबले द‍िसंबर 2024 में मक्के के दाम में 8.83 फीसदी का उछाल देखा गया है. साल 2022 में इसी अवध‍ि में मक्के का दाम 2065.31 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. इथेनॉल बनाने में मक्के का इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद दाम में इतनी ही वृद्ध‍ि द‍िख रही है. 

मक्के की आवक बढ़ी 

ऐसा माहौल बनाया जा रहा है क‍ि मक्का नहीं म‍िल रहा है. दरअसल, मक्का म‍िल रहा है लेक‍िन वह एमएसपी से कम कीमत पर उपलब्ध नहीं है. कृष‍ि मंत्रालय के अनुसार 01 दिसंबर से 31 दिसंबर 2024 तक देश की मंड‍ियों में 16 लाख 603 टन मक्के की आवक हुई, जो 2022 के मुकाबले 83 फीसदी ज्यादा है.  इसी अवध‍ि के दौरान 2022 में 8 लाख, 76 हजार 102 टन मक्का ब‍िकने आया था. साल 2023 की इसी अवध‍ि में आवक 9 लाख 46 हजार 388 टन थी. 

मक्के का आयातक बना भारत 

तेल मार्केट‍िंग कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 के लिए लगभग 837 करोड़ लीटर एथेनॉल आवंटित किया है, ज‍िसमें मक्का की हिस्सेदारी सबसे अधिक 51.52 प्रतिशत (लगभग 431.1 करोड़ लीटर) की है. मक्का आधारित इथेनॉल के अधिक उत्पादन की वजह से ही इसका प्रमुख न‍िर्यातक भारत लगभग दो दशकों में पहली बार शुद्ध आयातक बन गया है. पोल्ट्री इंडस्ट्री की मांग पर सरकार ने स‍िर्फ 15 फीसदी के रियायती इंपोर्ट ड्यूटी पर करीब 500,000 टन मक्का मंगाया है. जबक‍ि आयात पर 50 फीसदी ड्यूटी है. 

जीएम मक्का पर मंत्री की 'ना'

पोल्ट्री इंडस्ट्री चाहती है क‍ि सरकार आयात पर शुल्क न स‍िर्फ जीरो कर दे बल्क‍ि जेनेट‍िकली मोड‍िफाइड (जीएम) मक्का की अनुमत‍ि भी दे दे. हालांक‍ि, क‍िसान इसका व‍िरोध कर रहे हैं, क्योंक‍ि ऐसा होने से उनको म‍िलने वाला दाम कम हो जाएगा. केंद्रीय कृष‍ि मंत्री श‍िवराज स‍िंह चौहान ने भी जीएम मक्का के ल‍िए फ‍िलहाल 'ना' बोल द‍िया है. बिहार किसान मंच के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह टुडू ने कहा क‍ि मक्का आयात करने से देश के क‍िसानों को बड़ा नुकसान होगा. जब क‍िसानों को एमएसपी से कम दाम म‍िल रहा था तब पोल्ट्री इंडस्ट्री के लोग कहां थे?

इसे भी पढ़ें: क‍िसानों के व‍िरोध के बीच फैज अहमद क‍िदवई का तबादला, एग्री मार्केट‍िंग पॉल‍िसी का तैयार क‍िया था ड्राफ्ट 

इसे भी पढ़ें: ICAR में भर्त‍ियों-न‍ियुक्त‍ियों पर और आक्रामक हुए वेणुगोपाल, एक्शन नहीं हुआ तो होगा आर-पार

POST A COMMENT