खेतों में मित्र कीट और शत्रु कीटों का अलग-अलग महत्व होता है. इनमें से एक कीट मकड़ी भी होती है. खेती के इकोसिस्टम में पाई जाने वाली यह मकड़ी छोटे कीटों को खाती है. मकड़ी को खेती के इकोसिस्टम में मौजूद सबसे छोटे कीटों की सबसे बड़ी दुश्मन होती है. यह पौधों को किसी प्रकार से नुकसान पहुंचाए बिना ही बड़ी संख्या में कीटों का शिकार करती है. इस तरह से पौधों में लगने वाले कीटों को मकड़ी नष्ट कर देती है और पौधों की रक्षा करती हैं. पौधों नें कीट का प्रकोप नहीं होता है और पौधे सुरक्षित हो जाते हैं.
कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि मकड़ियां किसानों के लिए आर्थिक रूप स बहुत महत्व होता है. वो कीट प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हालांकि मकड़ियों के इतने महत्वपूर्ण होने के बाद भी किसान उन्हें अहमियत नहीं देते हैं. लेकिन हाल के दिनों में खेती बारी में कीटनाशकों का उपयोग कम करने के लिए और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इस खेती की तकनीक में जैविक तरीके से कीट नियंत्रण के लिए मकड़ियां किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं.
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मकड़िया स्वतंत्र रूप से घूमने वाली शिकारी होती है. अपने जीवनचक्र को पूरा करने के लिए उन्हें हमेशा भोजन की जरूरत होती है. यह हमेशा छोटे कीटों को खाती रहती है. मकड़ियां अपने आकार के आधार पर प्रतिदिन 10-15 कीटों को खात सकती हैं. इनका पेट लचीला होता है जो कम समय में अधिक खाना खाने में मदद करता है. मकड़ियों के पास भूख से निपटने के लिए एक उच्च प्रतिरोधक क्षमता होती है. जो उन्हें जीवित रहने और कम शिकार उपलब्धता की अवधि के दौरान भी सामान्य प्रजनन दर बनाए रखने में मदद करती है.
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