उत्तराखंड के गढ़वाली सेब अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रख चुके हैं. पौड़ी जिले से 1.2 मीट्रिक टन देसी सेब का पहला ट्रायल शिपमेंट सफलतापूर्वक यूएई भेजा गया है. यह स्वदेशी अभियान और स्थानीय किसानों के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
बढ़ती मांग से किसानों को मिलेगा मुनाफा
सरकार और एपीडा (APEDA) की संयुक्त कोशिशों से आने वाले समय में दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप तक उत्तराखंड के फल-सब्जियों का निर्यात संभव होगा. जैसे-जैसे विदेशों में उत्तराखंड के सेबों की मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे किसानों की कमाई भी बढ़ेगी. अब तक सीमित बाजार तक सिमटी फसल को अब अंतरराष्ट्रीय बाजार का रास्ता मिल गया है, जिससे छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को भी सीधा फायदा मिलेगा.
Dehradun to Dubai 🍎
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) August 22, 2025
First trial shipment of 1.2 MT of our #Swadeshi Garhwali apples from Pauri sent to the UAE market.
Farmers from Uttarakhand will reap more profits for their hard work as demand surges.
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किसानों की मेहनत का मिल रहा है सम्मान
यह पहल न केवल सेब उत्पादकों को नई पहचान दिलाएगी, बल्कि उनके 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को भी मजबूती देगी. स्वदेशी सेब अब सिर्फ पहाड़ों तक नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी मिठास फैलाएंगे. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गढ़वाल के सेब प्राकृतिक स्वाद और गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं. अगर पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स में सुधार हुआ, तो गढ़वाली सेब अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बन सकते हैं.
देशभर में कृषि निर्यात 2.43 लाख करोड़
वित्त वर्ष 2024–25 के दौरान देश से एपीडा (APEDA) के तहत कृषि उत्पादों का कुल निर्यात 2.43 लाख करोड़ तक रहा. इसमें उत्तराखंड की हिस्सेदारी मात्र 201 करोड़ रही. अब इस अंतर को कम करने की दिशा में एपीडा और राज्य सरकार ने मिलकर कदम उठाया है. वाणिज्य मंत्रालय के सचिव सुनील बार्थवाल ने इस मौके पर कहा कि उत्तराखंड से सिर्फ सेब ही नहीं, बल्कि बासमती चावल, मिलेट्स, राजमा, मसाले, खुशबूदार पौधे, शहद, कीवी, आम, लीची, आड़ू, मटर, करेला और आलू जैसे उत्पादों के निर्यात की भी अपार संभावना है.
देहरादून में खुलेगा APEDA का ऑफिस
APEDA ने उत्तराखंड में कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए देहरादून में क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की योजना बनाई है, ताकि किसानों और निर्यातकों को सीधी सहायता मिल सके. इसके अलावा, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और GI टैगिंग के जरिए राज्य के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशिष्ट पहचान दिलाई जा रही है. यह ट्रायल सिर्फ एक शुरुआत है. इससे उत्तराखंड के किसानों को न सिर्फ आर्थिक बल मिलेगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.
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