किसान मोटी कमाई के लिए आम के साथ लगाएं अमरूद, CISH के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दिए ये टिप्स

किसान मोटी कमाई के लिए आम के साथ लगाएं अमरूद, CISH के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दिए ये टिप्स

Farming Tips: केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) रहमानखेड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला ने बताया कि अमरूद के बाग किसी भी तरह की भूमि पर लगाए जा सकते हैं. उचित जलनिकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है. 

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किसान मोटी कमाई के लिए आम के साथ लगाएं अमरूद, CISH के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दिए ये टिप्सकिसानों को हाई डेंसिटी बाग लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. (फोटो-किसान तक)

पिछले कुछ समय से किसानों का रुझान पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी की ओर तेजी से बढ़ रहा है. बागवानी से किसानों को अन्य फसलों के मुकाबले अच्छा मुनाफा मिलता है. लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR- CISH) रहमानखेड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला के अनुसार बेहतर आय के लिए आम के साथ अमरूद के भी बाग लगा सकते हैं. इसके लिए आम के पौधों की पौध से पौध और लाइन से लाइन की दूरी 10 मीटर रखें. दो पौधों और लाइन से लाइन के बीच 55 मीटर पर अमरूद के पौधे लगाएं. इससे अमरूद के काफी पौधे लग जाएंगे. इससे बागवानों को बेहतर और अधिक समय तक आय होगी.

CISH द्वारा विकसित अमरूद की किस्में और उनकी खूबियां

1- ललित 

वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला ने बताया कि ललित प्रजाति के फल भीतर से गुलाबी एवं बाहर से आकर्षक लाल आभायुक्त केसरिया पीले रंग के होते हैं. फल का गूदा सख्त एवं शर्करा एवं अम्ल के उचित अनुपात के साथ ही गुलाबी रंग का होता है. ताजे उपभोग एवं परिरक्षण दोनों की ही दृष्टि से यह किस्म उत्तम पायी गयी है. इसके गूदे का गुलाबी रंग परिरक्षण के बाद भी एक वर्ष तक बना रहता है. यह किस्म अमरूद की लोकप्रिय किस्म इलाहाबाद सफेदा की अपेक्षा औसतन 24 प्रतिशत अधिक उपज देती है. इन्हीं गुणों के कारण यह प्रजाति व्यावसायिक खेती के लिए मुफीद है.

2- श्वेता

श्वेता एप्पल कलर किस्म के बीजू पौधों से चयनित खूब फलत देने वाली किस्म है. वृक्ष मध्यम आकार का होता है. फल थोड़े गोल होते हैं. बीज मुलायम होता है. फलों का औसत आकार करीब 225 ग्राम होता है. बेहतर प्रबंधन से प्रति पेड़ प्रति सीजन करीब 90 किग्रा फल प्राप्त होते हैं.

3- धवल

सीआईएसएच के वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक, धवल प्रजाति इलाहाबाद सफेदा से भी लगभग 20 फीसद से अधिक फलत देती है. फल गोल, चिकने एवं मध्यम आकार (200-250 ग्राम) के होते हैं. पकने पर फलों का रंग हल्का पीला और गूदा सफेद, मृदु सुवासयुक्त मीठा होता है। बीज भी अपेक्षाकृत खाने में मुलायम होता है.

4- लालिमा

यह एप्पल ग्वावा से चयनित किस्म है. फलों का रंग लाल होता है. प्रति फल औसत वजन 190 ग्राम होता है. फलत भी अच्छी होती है.

हर तरह की भूमि पर लगाए जा सकते अमरूद के बाग

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) रहमानखेड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला ने बताया कि अमरूद के बाग किसी भी तरह की भूमि पर लगाए जा सकते हैं. उचित जलनिकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है. पौधरोपण करते समय पौध से पौध और लाइन से लाइन की मानक दूरी 5 से 6  मीटर रखें. पौधों के बड़े होने तक 4-5 साल तक इसमें सीजन के अनुसार इंटर क्रॉपिंग भी कर सकते हैं. अगर सघन बागवानी करनी है तो यह दूरी दूरी आधी कर दें.

उन्होंने बताया कि इसमें प्रबंधन और फसल संरक्षण पर ध्यान देने से पौधों की संख्या के अनुसार उपज भी अधिक मिलती है. करीब 20 साल बाद फलत कम होने लगती है. जो फल आते हैं उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. कैनोपी प्रबंधन द्वारा इन बागों का कायाकल्प संभव है. मानसून का सीजन रोपण किए सबसे अच्छा है. सिंचाई का संसाधन होने पर फरवरी- मार्च में भी इनको लगाया जा सकता हैं. 

खनिज, विटामिंस और रेशा से भरपूर है अमरूद

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन के अनुसार अपने खास स्वाद और सुगंध के अलावा विटामिन सी से भरपूर अमरूद में शर्करा, पेक्टिन भी होता है. साथ ही इसमें खनिज, विटामिंस और रेशा भी मिलता है. इसीलिए इसे अमृत फल और गरीबों का सेव भी कहते हैं. ताजे फलों के सेवन के अलावा प्रोसेसिंग कर इसकी चटनी, जेली, जेम, जूस और मुरब्बा आदि भी बना सकते हैं.

प्रति 100 ग्राम अमरूद में मिलने वाले पोषक तत्व

नमी  81.7
फाइबर  5.2
कार्बोज 11.2
प्रोटीन 0.9
वसा  0.3

इसके अलावा इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, आयरन आदि भी उपलब्ध होते हैं.

लखनऊ में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागवानी

लखनऊ के मलिहाबाद, माल, काकोरी व बीकेटी की आम बेल्ट में लगभग 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागवानी होती है. यहां दशहरी, चौसा, लंगड़ा जैसी बेहतरीन किस्मों की पैदावार होती है. CISH के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला ने बताया कि किसानों को हाई डेंसिटी बाग लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. हाई डेंसिटी पर पौधा लगाने से किसानों को कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन मिलता है. 

मलिहाबादी दशहरी आम की देश-विदेश में डिमांड

आपको बता दें कि देश के कुल आम उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत अकेले उत्तर प्रदेश में होता है. लखनऊ से यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व खाड़ी के देशों में आम का निर्यात होता है. विश्व प्रसिद्ध मलिहाबादी दशहरी आम का दुबई, मस्कट, बहरीन और यूएई में भी जाता है. पहली पर किसानों ने आमों पर बैगिंग तकनीक से बागवानी की, जिससे उत्पादन और मिठास दोनों बढ़ी हैं. 

 

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