किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में प्याज उत्पादकों को एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा फसल की गैर-पारदर्शी खरीद के कारण वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है. राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि किसान त्योहारों के दौरान भी विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं और उन्होंने मांग की कि सरकार या तो निष्पक्ष खरीद सुनिश्चित करे या फिर नेफेड (NAFED) की प्याज खरीद बंद कर दे.
नासिक जिले के एक किसान ने पोला त्यौहार के अवसर पर अपने बैलों के साथ नेफेड के खिलाफ अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. पोला किसानों द्वारा बैलों और सांडों के महत्व को स्वीकार करने के लिए मनाया जाने वाला एक धन्यवाद उत्सव है, जो कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. मालेगांव तहसील के धवलेश्वर में किसान तात्यासाहेब पवार ने अपने बैलों पर "नेफेड वापस जाओ" लिखकर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य प्याज उत्पादकों की दुर्दशा को उजागर करना है. नेफेड द्वारा बफर स्टॉक खरीद में कथित भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने एक विज्ञप्ति में कहा कि कई सालों से, नैफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ) बफर स्टॉक के लिए प्याज खरीद रहा है. हालांकि, किसानों का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं होती हैं, जिससे उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पाता और सालाना करोड़ों रुपये का नुकसान होता है.
किसानों की प्रमुख मांगों में प्याज की खरीद में पारदर्शिता और उचित एवं सुनिश्चित मूल्य की गारंटी के लिए तंत्र स्थापित करना शामिल है. पवार ने संवाददाताओं से कहा कि प्याज किसान पारदर्शी खरीद प्रणाली, उचित मूल्य की गारंटी, अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य से स्पष्ट नीति की मांग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि लंबे समय से प्याज किसानों को प्याज का भाव अच्छा नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि उन्हें प्याज की उत्पादन लागत 18 से 20 रुपये प्रति किलो पड़ रही है. मगर इसके बावजूद भी उन्हें मार्केट में 10 रुपये प्रति किलो के भाव से पैसा मिल रहा है. इस कारण किसान प्याज के खेती से अपनी लागत का आधा पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ नेफेड और उसकी एजेंसियां सोशल मीडिया पर दावा कर रही हैं कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिया जा रहा है. मगर इसपर किसानों का कहना है कि ये दावा पूरी तरह खोखला है. उनका आरोप है कि नेफेड की एजेंसियों ने पहले से जमा किया गया प्याज बाजार में सस्ते में बेचा और इतना ही नहीं खराब क्वालिटी का प्याज भी सप्लाई कर रहे हैं.
(सोर्स- PTI)
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