प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो प्रोग्राम मन की बात के 109वां एपिसोड पर देश को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह ने देश के करोड़ों लोगों को एक साथ ला दिया. उनकी माने तो रामलला के आगमन ने देश को एक सूत्र में बांध दिया है. उन्होंने कहा कि राम सबमें हैं. राम सभी के दिलों में बसे हुए हैं. पीएम ने कहा कि 22 जनवरी की शाम को पूरे देश ने राम ज्योति जलाई और दिवाली मनाई. देश ने एक सामूहिक शक्ति देखी, जो विकसित भारत की हमारी प्रतिज्ञा का आधार भी बनती है.
संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि सेल्फ हेल्प ग्रुप एक ऐसा क्षेत्र है, जहां महिलाओं ने अपना परचम लहराया है. आज देश में महिला हेल्प ग्रुप्स की संख्या भी बढ़ी है और उनके काम करने के दायरे का भी बहुत विस्तार हुआ है. पीएम ने कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब आपको गांव-गांव में, खेतों में, नमो ड्रोन दीदियां ड्रोन के माध्यम से खेती में मदद करती हुई दिखाई देंगी.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार भी ऐसे अनेको देशवासियों को पद्मश्री सम्मान दिया गया है, जिन्होंने जमीन से जुड़कर समाज में बड़े-बड़े बदलाव लाने का काम किया है. इन प्रेरणादायक लोगों की जीवन-यात्रा के बारे में जानने को लेकर देश-भर में बहुत उत्सुकता दिखी है. ये वो लोग हैं, जो मीडिया की हेडलाइन और अखबारों के फ्रंट पेज से दूर हैं. ये लोग बिना किसी लाइम लाइट के समाज सेवा में जुटे थे. उन्होंने कहा कि इस बार पद्म सम्मान के लिए 2014 की तुलना में 28 गुना ज्यादा नॉमिनेशन प्राप्त हुए हैं.
पीएम ने पद्मश्री सम्मान का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इस बार छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी को भी पद्मश्री सम्मान मिला है. वैद्यराज हेमचंद मांझी भी आयुष चिकित्सा पद्धति की मदद से लोगों का इलाज करते हैं. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में गरीब मरीजों की सेवा करते हुए उन्हें 5 दशक से ज्यादा का समय हो रहा है. साथ ही उन्होंने अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली सुश्री यानुंग का भी नाम लिया. यह हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं. इन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए काफी काम किया है. इस योगदान के लिए उन्हें इस बार पद्म सम्मान भी दिया गया है.
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पीएम मोदी ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा से जुड़े डेटा और शब्दावली का वर्गीकरण किया है. इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मदद की है. दोनों के प्रयासों से आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में बीमारी और इलाज से जुड़ी शब्दावली की कोडिंग कर दी गयी है. इस कोडिंगकी मदद से अब सभी डॉक्टर अपनी पर्ची पर एक जैसी भाषा लिखेंगे. इसका एक फायदा ये होगा कि अगर आप वो पर्ची लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को इसकी पूरी जानकारी उस पर्ची से ही मिल जाएगी.
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