महंगाई है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है. खाने- पीने की एक चीज सस्ती होती है, तब तक दूसरी चीज महंगी हो जाती है. इससे आम आदनी के किचन का बजट बिगड़ता जा रहा है. कीमतों में गिरावट के बाद भी देश में प्याज की खुदरा रेट 36 प्रतिशत अधिक है. जबकि, टमाटर की खुदरा कीमतें 25 प्रतिशत ज्यादा हैं. वहीं, आलू की दरें एक साल पहले की अवधि की तुलना में 23 जनवरी तक 2 प्रतिशत कम थी. ऐसे में उपभोक्ता जमकर आलू की खरीदारी कर रहे हैं. इससे किसानों को भी फायदा हो रहा है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 से 23 जनवरी के बीच देश में टमाटर की औसत मंडी कीमतें एक साल पहले के 1,115 रुपये से 26.2 प्रतिशत बढ़कर 1,407 रुपये क्विंटल थीं. इसी तरह प्याज की कीमतें भी 23 प्रतिशत बढ़कर 1,288 रुपये से 1,586 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं. दूसरी ओर, आलू की औसत कीमत 13.5 प्रतिशत गिरकर 891 से 771 रुपये क्विंटल हो गई है.
वहीं, एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के लिए लगातर कोशिश कर रही है. प्याज की कीमतों को कम करने के लिए उसने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी सहकारी समितियों के माध्यम से 25 रुपये किलो की दर से प्याज बेचा. इससे आम जनता को काफी राहत मिली. साथ ही सरकार को भी इस कदम से प्याज की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली. क्योंकि पिछले साल नवंबर- दिसंबर में प्याज की कीमतें 70 से 80 रुपये किलो हो गई थीं.
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दरअसल, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने फरवरी 2020 में एक पोर्टल लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य तीन महीनों के लिए टॉप सब्जियों की थोक कीमतों का पूर्वानुमान लगाना था. ऐसा कहा गया था कि वेबसाइट सरकार को बाढ़ के दौरान कीमतों में गिरावट की स्थिति में समय पर बाजार हस्तक्षेप के लिए आपूर्ति की स्थिति की निगरानी करने में सक्षम बनाने में मदद करेगी.
आधिकारिक सूत्र ने कहा, हालांकि, ऐसा लगता है कि ऐसी कोई निगरानी नहीं हो रही है, क्योंकि जब कीमतों में बढ़ोतरी दिखेगी तो सरकार तीन महीने पहले ही सतर्क हो सकती है. अब जबकि 23 जनवरी को पूरे भारत में खुदरा बाजार में प्याज की औसत कीमत 37 रुपये किलो और टमाटर की औसत कीमत 32 रुपये किलो तक पहुंच गई है. जबकि दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दोनों ज्यादातर लगभग 40 रुपये किलो बिक रहे हैं.
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