डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए पायलट परियोजना शुरू की गईअगस्त-सितंबर में हुई बेमौसम भारी बारिश और बाढ़ से बड़े पैमाने पर नुकसान की आशंका है, मगर कुछ सैटेलाइट आधारित फसल सर्वेक्षण रिपोर्ट इस साल खरीफ फसलों के उत्पादन पर इसका बहुत ही कम प्रभाव दिखा रही हैं. कृषि मंत्रालय फसल उत्पादन अनुमानों की घोषणा के लिए इनपुट्स को अंतिम रूप दे रहा है, जो संभवतः नवंबर के पहले हफ्ते में जारी किए जाएंगे. सूत्रों के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य पंजाब में, जहां कुल धान की खेती का 95 प्रतिशत हिस्सा है, 2 लाख हेक्टेयर से भी कम जमीन प्रभावित हुई है.
पंजाब में सबसे ज़्यादा प्रभावित जिले फिरोज़पुर, गुरदासपुर, अमृतसर, फाज़िल्का, तरन तारन और कपूरथला हैं. बीज उद्योग के एक अधिकारी ने बताया कि फाज़िल्का बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है और धान, कपास, मक्का और सब्ज़ियों की फ़सल भी आंशिक रूप से प्रभावित हुई है. अंग्रेजी अखबार 'बिजनेस लाइन' की एक रिपोर्ट में महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (MNCFC) के हवाले से बताया गया कि सैटेलाइट-आधारित रिमोट सेंसिंग के माध्यम से लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर (lh) क्षेत्र बाढ़/भारी बारिश के कारण प्रभावित पाया गया है.
इस साल पंजाब में धान (बासमती सहित) का रकबा 32.5 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल से थोड़ा ज़्यादा है. सूत्रों ने बताया कि भारी बारिश के कारण लगभग 5-7 lh क्षेत्र में अनाज की गुणवत्ता प्रभावित हुई है. MNCFC की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रभावित फसल क्षेत्र (1.5 लाख हेक्टेयर में से) लगभग 1.36 लाख हेक्टेयर ऐसा था जो या तो वर्षा जल संचयन या बाढ़ के पानी के कारण जलमग्न हो गया.
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र, जहां कटाई से पहले की अवधि में भारी बारिश हुई, वहां नांदेड़, सोलापुर, यवतमाल, धाराशिव, बीड और अहमदनगर सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले थे. सूत्रों ने बताया कि प्रभावित ज़िलों में कम पैदावार और फसल क्षति के कारण सोयाबीन, कपास, अरहर, मक्का, ज्वार, उड़द और मूंग का उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम होने की संभावना है. वहीं उत्तर प्रदेश में, फर्रुखाबाद, बदायूं, शाहजहांपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा और उन्नाव बाढ़ और भारी वर्षा दोनों से प्रमुख प्रभावित जिले हैं और तिल, उड़द, धान और सब्जियां प्रभावित हुईं.
इसके अलावा, हरियाणा के हिसार और भिवानी जिलों के किसानों ने भारी बारिश के कारण धान, कपास, मूंग और बाजरा की पैदावार में आंशिक नुकसान की जानकारी दी है. सूत्रों ने बताया कि राजस्थान में नागौर सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में से एक रहा, जहां सोयाबीन, बाजरा, ज्वार और मूंगफली की फसलें प्रभावित हुईं.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कुछ चुनिंदा राज्यों में पारंपरिक प्रणाली के समानांतर डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए पायलट परियोजना के रूप में तीन निजी एजेंसियों का चयन किया है, ताकि दोनों की सटीकता की पुष्टि हो सके. कृषि मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि 3 अक्टूबर तक सभी खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा 1121.46 लाख हेक्टेयर था, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह रकबा 1114.95 लाख हेक्टेयर था. धान, दलहन, मक्का और गन्ने की बुवाई का रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में ज़्यादा रहा. धान का रकबा लगभग 6 लाख हेक्टेयर और मक्का का रकबा 10 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा बढ़ा है.
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