खाद संकट पर कृषि मंत्री का बेतुका बयान, लंबी लाइनों को बताया ‘प्रीप्लान’, फिर घिरे एदल सिंह कंसाना

खाद संकट पर कृषि मंत्री का बेतुका बयान, लंबी लाइनों को बताया ‘प्रीप्लान’, फिर घिरे एदल सिंह कंसाना

खाद वितरण में अव्यवस्था और किसानों की परेशानी के बीच कृषि मंत्री ने हंगामे को साजिश बताया, ई-विकास पोर्टल फेल होने से कई जिलों में खाद वितरण ठप.

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खाद संकट पर कृषि मंत्री का बेतुका बयान, लंबी लाइनों को बताया ‘प्रीप्लान’, फिर घिरे एदल सिंह कंसानामध्य प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने फिर से बेतुका बयान दिया है. खाद वितरण केंद्र पर किसानों की लंबी लाइन और हंगामे को कृषि मंत्री ने प्रीप्लान बताया. इसके बाद मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना एक बार फिर विवादित बयान दे गए हैं. उनके बयान पर प्रतिक्रिया का दौर जारी है.

एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना से खाद वितरण केंद्रों में लग रही लंबी लाइन और गरीब किसान को खाद नहीं मिलने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे प्रीप्लान बताया. उन्होंने कहा कि 'आप अच्छे से जानते हैं कि यह वीडियो कैसे आते हैं. 100 लोगों के बीच 4 लोग घुसा दिए जाते हैं जो हो-हल्ला करते हैं, कोई थप्पड़ देता है, यह सब प्रीप्लान है और हमारे किसानों को गुमराह करने की साजिश है'.

कंसाना के बेतुका बयान

यह पहली बार नहीं है जब एदल सिंह कंसाना ने विवादित बयान दिया हो. इससे पहले इसी साल मार्च में उन्होंने मुरैना जिले के अंबाह में रेत माफिया द्वारा वन विभाग की टीम पर हमला करने के बाद भी विवादित बयान देते हुए कहा था कि 'रेत माफिया कहां हैं, वे रेत माफिया नहीं, पेट माफिया हैं. वे पेट पालने के लिए काम कर रहे हैं. रेत माफिया उसे कहते हैं जो किसी एक व्यक्ति के लिए काम करें'.

इससे पहले प्याज के दाम को लेकर भी उनका बयान वायरल हुआ था. कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना के उस बयान पर विवाद भड़क गया जिसमें उन्होंने कहा कि "आपूर्ति अच्छी होने के कारण किसान प्याज फेंक रहे हैं". कंसाना ने यह बयान खजुराहो में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया था.

उन्होंने कहा कि प्याज बागवानी विभाग का विषय है, लेकिन कृषि मंत्री होने के नाते वे यह स्पष्ट कर रहे हैं कि इस बार प्याज की सप्लाई अच्छी है, इसलिए किसान ऐसा कर रहे हैं. कांग्रेस शासन में तो प्याज ही नहीं थी, क्‍योंकि किसानों को पानी ही नहीं मिला, इसलिए उत्पादन भी नहीं हुआ.

खाद की कमी से हाहाकार

खाद की कमी और इस तरह के बयान ऐसे समय में आ रहे हैं जब किसानों की परेशानी का वीडियो लगातार वायरल हो रहा है. सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत यह है कि किसान अपनी फसल बचाने के लिए खाद तक नहीं जुटा पा रहे हैं. 

ई-विकास पोर्टल का सर्वर बीते दो दिनों से फेल होने के कारण नर्मदापुरम कृषि उपज मंडी स्थित मार्केफेड गोदाम से खाद वितरण पूरी तरह ठप पड़ा है. हालात यह है कि किसान ई-टोकन जारी कराकर खाद पाने के लिए केंद्र पर पहुंच रहे हैं, लेकिन ई-विकास पोर्टल पर बार-कोड स्कैन करने पर सर्वर की समस्या के चलते वितरण प्रणाली बंद हो जा रही है. इसके कारण किसानों के खाद के बिल जनरेट नहीं हो पा रहे हैं जिससे किसानों को खाद नही मिल पा रही है और उन्हें निराश होकर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.

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