जिला प्रशासन की टीम ने खेतों में बुलडोजर चला कर फसल को नष्ट कर दियाबिहार के पटना सिटी स्थित फतुहा थाना क्षेत्र के पूनाडीह पंचायत के खासपुर गांव में आमस–दरभंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य के दौरान उस वक्त तनाव की स्थिति बन गई, जब कई किसानों ने बुलडोजर चलाए जाने का विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया. मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासन ने किसानों को हटाकर जबरन निर्माण कार्य जारी रखा, जिससे नाराज किसानों में आक्रोश और बढ़ गया. स्थानीय किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण तो कर लिया गया है, लेकिन अब तक उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं मिला. इसी मांग को लेकर किसान लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने उनकी बात सुने बिना ही खेतों में बुलडोजर चला दिया, जिससे तैयार फसलें भी बर्बाद हो गईं.
किसान प्रतिनिधि देव कुमार सिंह ने इस कार्रवाई को अत्याचार बताते हुए कहा कि सड़क भारत माला परियोजना के तहत बन रही है और किसान इस विकास कार्य के खिलाफ नहीं हैं. उन्होंने साफ किया कि किसानों की मांग सिर्फ इतनी है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाए. देव कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि किसानों के विरोध के बावजूद कोई भी अधिकारी उनसे बातचीत करने को तैयार नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि प्रशासन बलपूर्वक काम कर रहा है. हमारी तैयार फसलें नष्ट हो रही हैं. संविधान हमें अपनी बात रखने की आज़ादी देता है, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है. बुलडोजर जबरन हमारे पेट पर चलाया जा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किसानों को एफआईआर की धमकी दी जा रही है.
वहीं, मौके पर मौजूद दंडाधिकारी सुनील कुमार ने कहा कि यह काम आमस–दरभंगा सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे का है, जो वरीय अधिकारियों के निर्देश पर चल रहा है. उन्होंने दावा किया कि कुछ असामाजिक तत्व किसानों को भड़का रहे हैं, ताकि निर्माण कार्य को बाधित किया जा सके. दंडाधिकारी ने किसानों को आश्वासन दिया कि यह मामला कमिश्नर के संज्ञान में है और सभी पात्र किसानों को उचित मुआवज़ा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य शुरू होने से मुआवजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा और भूमि अधिग्रहण की तिथि से ही मुआवज़ा देय होगा.
किसानों द्वारा मुआवज़े की कम राशि को लेकर उठाए गए सवाल पर दंडाधिकारी ने बताया कि मुआवज़े की दर एक विशेष समिति तय करती है, जो जमीन की स्थिति और श्रेणी पर निर्भर करती है. जिन किसानों ने मुआवज़े के पुनर्विचार के लिए आवेदन किया है, उन्हें इस संबंध में आश्वासन दिया गया है. फिलहाल, प्रशासन और किसानों के बीच बातचीत का रास्ता निकलने का इंतजार है. किसान जहां अपनी आजीविका और हक की बात कर रहे हैं, वहीं प्रशासन विकास कार्य को समय पर पूरा करने की बात कह रहा है.
(रिपोर्ट- राजेश कुमार झा)
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