किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शुक्रवार को कहा है कि सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. उनका कहना था कि सत्तारूढ़ दल का एकमात्र ध्यान आगामी लोकसभा चुनाव जीतने पर है. उन्होंने कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देनी चाहिए और प्रदर्शनकारी किसानों की अन्य मांगों को पूरा करना चाहिए. पंढेर ने कहा,''किसानों पर ध्यान देने के बजाय, उनका ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि चुनाव कैसे जीता जाए.' उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) सरकार पर अपनी मांगें स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए किसानों द्वारा 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. पंढेर का कहना था कि किसान नेता आपस में चर्चा करेंगे और अपनी भविष्य की रणनीति पर फैसला करेंगे. 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी सीमा बिंदु पर झड़प में 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी. इस दौरान करीब 12 पुलिस कर्मी भी घायल हो गए थे. इसके बाद मार्च को दो दिनों के लिए रोक दिया गया था.
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दो दिन बाद, किसान नेताओं ने कहा कि प्रदर्शनकारी हरियाणा के साथ पंजाब की सीमा पर खनौरी और शंभू में डेरा डालना जारी रखेंगे. इसके बाद अगली कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा। हालांकि, किसान यूनियनों ने अब तक कोई घोषणा नहीं की है. पंढेर ने कहा कि शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की तरफ से तीन मार्च को बठिंडा में उनके गांव बलोह में एक बैठक आयोजित की जाएगी. इसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान शामिल होंगे और वह भी बड़ी संख्या में.
पंढेर ने बताया कि शुभकरण के पैतृक गांव में शुक्रवार को 'अखंड पाठ' शुरू होगा. इससे पहले गुरुवार को शुभकरण के शव को अंतिम संस्कार के लिए बलोह ले जाया गया. अपनी विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन कर रहे किसान पंजाब-हरियाणा सीमा पर दो विरोध स्थलों पर रुके हुए हैं. किसान नेताओं ने पहले कहा था कि वे तब तक अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं. साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने पर भी उनका आंदोलन जारी रह सकता है.
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अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध जारी है. 19 फरवरी को किसान नेताओं ने सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल के लिए एमएसपी पर दालों, मक्का और कपास की खरीद के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज किया गया कि यह किसानों के पक्ष में नहीं है. 18 फरवरी को किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों के एक पैनल ने प्रस्ताव दिया था. इसके तहत किसानों के साथ समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक दालें, मक्का और कपास एमएसपी पर खरीदने की बात कही गई थी.
पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए 'न्याय', भूमि अधिग्रहण की बहाली की भी मांग कर रहे हैं. साथ ही वो अधिनियम 2013 और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की अपील भी कर रहे हैं.
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